बीते दिनों पैसों की कमी ने 108 एम्बुलेंस सेवा को राज्य में एक बार फिर क्रिटिकल कर दिया था। 108 सेवा को राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की जीवन रेखा माना जाता है।पैसों के अभाव में, एम्बुलेंस सेवा अपने पूरे बेड़े को संचालित करने में सक्षम नहीं हो पा रहा था।आलम ऐसा हो गया था कि कई पेट्रोल पंप संचालक बकाया भुगतान का हवाला देते हुए एंबुलेंस को पेट्रोल देने से इनकार कर रहे हैं।
बीते शनिवार को, नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) ने 108 एम्बुलेंस सेवा के लिए 1.51 करोड़ रुपये और खुशियों की सावरी के लिए 45 लाख रुपये जारी किए थे, जिसके तहत प्रसव के बाद माँ और नवजात बच्चों को अस्पतालों से घर भेजा जाता है।
हालाँकि, यह राशि मंगलवार को 108 एम्बुलेंस सेवा के बैंक खाते में आ गई थी जिसके बाद 108 ने अपनी सेवा सुचारु रुप से शुरु कर दी है।बुधवार को 108 सेवा के मीडिया प्रभारी मोहन सिंह राणा ने बताया कि, “फंड की कमी होने के बाद भी 75 प्रतिशत एम्बुलेंस सोमवार को ऑपरेटिव थी।” उन्होंने कहा कि, “एनएचएम द्वारा जारी किया गया बजट मंगलवार को 108 सेवा के खाते में जमा कर दिया गया है जिसके बाद सारी सेवाएं सामान्य हैं।”
आपको बतादें कि स्वास्थय सेवाएं देने के लिए 108 एंबुलेंस की सेवा के लिए जीवीके-ईएमआरआई कंपनी का दस साल का अनुबंध पिछले साल मार्च में समाप्त हो गया था। तब से, राज्य सरकार ने एंबुलेंस की इस सेवा का संचालन जारी रखने के लिए कंपनी को छह महीने के दो एक्सटेंशन दिए हैं। एक्सटेंशन का कार्यकाल 7 मार्च को खत्म हो रहा है। इस बीच, राज्य सरकार ने एम्बुलेंस सेवा को संचालित करने के लिए एक नई कंपनी का चुनाव किया है। उम्मीद की जा रही है कि नई कंपनी जल्द ही इस कार्य को संभालेगी।
2008 में शुरू किया गया, 108 सेवा राज्य के सभी हिस्सों में इमरजेंसी सेवा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। यह सेवा खुशियों की सावरी के तहत गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित प्रसव के लिए अस्पतालों तक पहुंचाने के महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करती है। 108 एम्बुलेंस सेवा में 139 एम्बुलेंस का एक दल है और इसमें एक नाव एम्बुलेंस भी है जो टिहरी झील में काम करती है।