बेलगाम हो रहा स्वाइन फ्लू, अब तक 14 की मौत

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देहरादून। प्रदेश में स्वाइन फ्लू का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार बीमारी के वायरस से मरने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। आलम यह है कि वायरस न सिर्फ नए लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है, बल्कि कईयों की जान भी लील रहा है।
बीते सोमवार स्वाइन फ्लू पीड़ित एक और मरीज की मौत हो गई है। जानकारी के अनुसार हरिद्वार निवासी 60 वर्षीय महिला पटेलनगर स्थित श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में बीती 16 जनवरी से भर्ती थी। महिला ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। इस तरह प्रदेश में अब तक स्वाइन फ्लू पीड़ित 14 मरीजों की मौत हो चुकी है। अकेले श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में इस बीमारी से 11 मरीजों की मौत हो चुकी है।
48 लोगों को चपेट में ले चुका है वायरस
इधर, मंगलवार दोपहर तक छह और नए मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। इस तरह प्रदेश में अब तक एच-1एन-1 वायरस 48 लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है, जिनमें से चौदह की मौत हुई है। स्वाइन फ्लू से पीड़ित 16 मरीज शहर के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं। इस बीमारी को फैलाने वाला वायरस दिन-प्रतिदिन जानलेवा साबित होता जा रहा है, बावजूद इसके स्वास्थ्य महकमा इसको सामान्य स्थिति बता रहा है। स्वाइन फ्लू के बढ़ते मामलों पर पर्दा डालने के लिए डेथ ऑडिट का शिगूफा छोड़ा गया है। विभाग यह तर्क दे रहा है कि जिन मरीजों की मौत हुई है उनमें अधिकांश गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे।
प्रदेशभर में केवल एक लैब
उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू जांच की एकमात्र लैब श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में है। यहां पर कुछ ही घंटों में स्वाइन फ्लू परीक्षण की रिपोर्ट तैयार हो जाती है। एनसीडीसी नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त इस लैब में सभी अत्याधुनिक सुविधाएं हैं। महंत इन्दिरेश अस्पताल खुद सरकार अस्पतालों में आए रहे संदिग्ध मामलों में स्वाइन फ्लू के सैंपल जांचने के लिए तैयार है, इस बारे में अस्पताल द्वारा पहल भी की गई। लेकिन इसके बावजदू भी सैंपलों को जांच के लिए दिल्ली भेजा जा रहा है। जिस कारण देरी हो रही है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र रतूड़ी ने बताया कि बीते साल स्वाइन फ्लू की जांच संबंधित एक एमओयू प्रस्ताव बनाकर हमने स्वास्थ्य विभाग को भेजा था। लेकिन उसका कोई जवाब अभी तक नहीं मिला है। हमारा ध्येय है कि आम जनता को समय से रिपोर्ट मिल जाए ताकि उसका ट्रीटमेंट समय से शुरू हो सके।
यह रहें सावधान
– कम उम्र के बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं।
– फेफड़ों, किडनी या दिल की बीमारी।
– मस्तिष्क संबंधी (न्यूरोलॉजिकल) बीमारी।
– कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग।
– डायबीटीज।
– जिन्हें अस्थमा की शिकायत रही हो या है।