गोपेश्वर, चमोली जिले में फायर सीजन में 11 से अधिक वनाग्नि की घटनाओं में 15 हेक्टयर वन क्षेत्र जल कर खाक हो गया। ऐसे में जिले में वन विभाग की फायर सीजन को लेकर की गई तैयारियों की पोख खुल रही है।
चमोली जिले में वनों के सरंक्षण के लिये बदीनाथ, केदारनाथ और अलकनंदा वन प्रभागों का गठन किया गया है। जिनके माध्यम से वनों को संरक्षित करने के लिये प्रतिवर्ष मार्च माह में फायर सीजन में वनाग्नि की रोकथाम के लिये योजना तैयार कर क्रू स्टेशन, मोबाइल टीम और कंट्रोल रुम का गठन किया जाता है। इस वर्ष भी बीते वर्षों की तर्ज पर वन विभाग की ओर से व्यवस्थाओं का दावा किया गया। साथ ही इस वर्ष रुक-रुक कर जिले में बारिश भी हो रही है। इसके बावजूद भी भी इस वर्ष वर्तमान तक जिले में 11 बड़ी वनाग्नि की घटनाओं में 15 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र जलकर राख हो गया है।
जंगलों में तैयार हो रहे नये पौधे पूरी तरह से जल गये हैं, वहीं घास का नामोनिशान साफ हो गया है। विभागीय अधिकारी वनों में लग रही आग के लिये स्थानीय लोगों को जिम्मेदार बताकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं, वहीं विभाग की ओर से जंगलों में बिखरे पिरुल का निस्तारण नहीं किया गया है। विभागीय तैयारियों का आलम यह है कि बीते दिनों कर्णप्रयाग नगर के समीप जंगल में लगी आग जब आबादी क्षेत्र के समीप पहुंची तो पुलिस और स्थानीय लोगों के सहयोग से आग को काबू किया जा सका।
बदरीनाथ वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी अमित कंवर का कहना है कि, “जिले में आग लगने की घटनाओं पर रोकथाम की जा रही है। गांव में महिला मंगल दलों के साथ ही स्थानीय लोगों की मदद से आग पर काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है। साथ वन विभाग की टीमें भी सघन रूप से जंगलों का दौरा कर रही है।”