यूपी-उत्तराखंड बार्डर के 185 गांव वालों की मोदी सरकार से जुड़ी उम्मीदें

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    उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार आने से लोगों में उम्मीदें जगी हैं।किसी को उम्मीद है कि अच्छे दिन आऐंगे तो कोई भ्रष्टाचार खत्म करना चाहता है,किसी को उम्मीद है प्रदेश में विकास होगा तो कोई केवल बीजेपी सरकार बनने से ही खुश है।लेकिन हम बात करेंगे कुछ ऐसे लोगों की जिनकी उम्मीद टूट चुकी थी,लेकिन दोनो प्रदेशों में बीजेपी की सरकार बनने से उम्मीद जागी है।

    उत्तर प्रदेश के 185 गांव जो आज भी उम्मीद लगाएं बैठे है कि उनका विलय उत्तराखंड राज्य में हो जाए।उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में किसी भी गांव का विकास उसके शहर से दूरी पर निर्भर करता है।बिजनौर के बार्डर के गांव में रहने वाले 2 लाख लोग इस बात को ज्यादा अच्छे से महसूस कर सकते हैं।ऐसे गांव जो यूपी के बार्डर पर है और जिनसे उत्तराखंड का जिला कोटद्वार सिर्फ 4 किमी. दूर है और बिजनौर लगभग 60 किमी है वो इस स्थिति को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।बार्डर पर पड़ने वाले गांव में विकास के नाम पर कुछ नहीं होता, और अब तो इस गांव के लोग बस यह चाहते है कि इनका गांव उत्तराखंड प्रदेश से मिल जाए ताकि इनका परेशानियां कम हो सकें।

    लाख कोशिशों और कड़ी मेहनत के बाद आज दोनों राज्य यूपी और यूके में बीजेपी की सरकार है तो ऐसे में बार्डर क्षेत्र के गांव और यहां के निवासियों को आशा कि एक किरण सी दिखाई देती है।इतना ही नहीं इन गांव वालों ने यह मुद्दा तब भी उठाया था जब सभी पार्टी वाले चुनाव जीतने के होड़ में लगातार  कैंपेन कर रहे थे।

    सीमावर्ती संघर्ष समीति एक ऐसी संस्था जो यूपी के 185 गांव और उत्तराखंड राज्य के विलय के लिए काम कर रही है,उनका कहना है कि दोनों राज्यों में बीजेपी सरकार बनने से उम्मीदें जागी है।समिती के अध्यक्ष मनमोहन सिंह का कहना है कि यहा के लोकल लोग बिल्कुल अडिग है कि वह उत्तराखंड में मिलना चाहते हैं, और यह 185 गांव में 33 पंचायत हैं लेकिन विकास के नाम पर यहां शून्य काम हुआ है।

    यूपी यूके बार्डर के गांव तल्ला ढाक में रहने वाले आशीष मिश्रा कहते हैं हम पिछले कई सालों से इस दिक्कत से जूझ रहे और चाहते हैं कि अपनी सहमति से उत्तराखंड में मिल जाए। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के रिर्काड में बार्डर पर रह रहे गांवों में लोगों के घर तो उत्तराखंड में है लेकिन जमीनें यूपी मे हैं।आशीष बताते हैं कि कोटद्वार उनके गांव से 4 किमी है लेकिन बिजनौर 50 किमी।इसके अलावा इन गांवों में मिलने वाली बिजली भी उत्तर प्रदेश नहीं बल्कि उत्तराखंड सप्लाई करता है लेकिन अब पहाड़ी राज्य भी यह सप्लाई काटना चाहता है।य़ह एक ऐसा क्षेत्र हैं जहां ना तो शिक्षा के लिए स्कूल हैं ना ही कोइ इंडस्ट्री और ना मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल।

    लेकिन सालों बाद उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार बनने से बार्डर के गांव में रह रहे लोगों की उम्मीदें एक बार फिर जगी हैं।बदलते समय के साथ हर क्षेत्र विकास मांगता है और यह 185 गांव इसी विकास की दरकार कर रहे हैं, देखना यह है कि पीएम मोदी की सरकार में इनको इंसाफ मिलता है कि नहीं।