देहरादून। उत्तराखंड के न्यायालयों में दो लाख 66 हजार 387 केस वर्ष 2019 में फैसले के इंतजार में हैं। उत्तराखंड के न्यायालयों में लंबित केसोें की संख्या में पिछलेे चार वर्षों में 58 प्रतिशत की वृद्धि हुुई है। जबकि अपराधिक लम्बित केेसों मेें 72 प्रतिशत तथा दीवानी के केसों में 19 प्रतिशत की वृृद्धि हुुई हैै।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय के लोक सूचना अधिकारी द्वारा सूूचना के अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन कोे उपलब्ध करायी गयी सूचना सेे यह आंकड़़ेे प्रकाश में आये हैैं।
काशीपुर निवासी नदीम उद्दीन नेे उत्तराखंड उच्च न्यायालय केे लोेक सूचना अधिकारी से उत्तराखंड उच्च न्यायालय तथा उसके अधीनस्थ न्यायालयों में केसोें के निस्तारण सम्बन्धी विवरणोें की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के राज्य लोक सूूचना अधिकारी रमेश चन्द्र काण्डपाल नेे उत्तराखंड उच्च न्यायालय तथा उसके अधीनस्थ सभी 13 जिलों के न्यायालयों में लंबित व निस्तारित केसोें के विवरण आठ फरवरी 2019 को उपलब्ध करायी।
नदीम को उपलब्ध विवरणों के अनुसार 2018 के अंत में उत्तराखंड उच्च न्यायालय मेें कुल 34049 केस लम्बित है जिसमें सेे 12705 केस अपराधिक तथा 21344 केस दीवानी के शामिल है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के अधीनस्थ न्यायालयों में कुल दो लाख 32 हजार 338 केस लंबित है जिसमें एक लाख 98 हजार 300 केेस अपराधिक तथा 34038 दीवानी केे केेस शामिल है।
उपलब्ध विवरणों के विश्लेषण सेे स्पष्ट है कि 31 दिसम्बर 2018 को उत्तराखंड में कुल दो लाख 66 हजार 387 केस लंबित थे जिसमेें दो लाख 11 हजार पांच केेस अपराधिक तथा 55382 केस दीवानी केे थे। नदीम कोे पूूर्व मेें उपलब्ध सूचना के अनुुसार 2014 के अंत में कुल 1,68,431 केस लंबित थेे जिसमेें 1,22,159 अपराधिक तथा 46272 केस दीवानी के थेे। इस चार वर्ष की अवधि मेें 97956 केसों की वृद्धि हुुई है जोे 58 प्रतिशत सेे अधिक है। अपराधिक केसों में 88846 केेसों की वृद्धि हुुई है जोे 72 प्रतिशत सेे अधिक है। जबकि दीवानी केेसोें में केेवल 9110 केसों की वृृद्धि हुई है जोे 19 प्रतिशत सेे अधिक है।
उत्तराखंड के अधीनस्थ न्यायालयों में 31 दिसम्बर 2018 कोे लंबित कुुल दो लाख 32 हजार 338 केेसों मेें सेे सर्वाधिक 98429 केेस देेहरादूून जिलेे केे, न्यायालयों मेें, दूसरेे स्थान पर 58042 केस हरिद्वार के न्यायालयों मेें तथा तीसरे स्थान पर 43451 केस उधमसिंह नगर जिले के न्यायालयोें में लंबित है। अन्य जिलोें मेें लंबित केसों में 1239 केस अल्मोड़ा, 494 बागेश्वर, 1104 चमोेली, 1477 चम्पावत, 16398 नैनीताल, 5547 पौड़ी, 1486 पिथौरागढ़, 1025 रूप्रयाग, 2223 टिहरी तथा 1423 केस उत्तरकाशी जिलों के न्यायालयों में लंबित हैै।
अधीनस्थ न्यायालयोें में कुुल 198300 फौजदारी केस लंबित है जिसमें सर्वाधिक 86210 केस देहरादून, 47615 हरिद्वार तथा 37674 उधमसिंह नगर जिले केे न्यायालयोें मेें लंबित हैै। अन्य जिलों के न्यायालयों मेें लंबित अपराधिक केेसों मेें अल्मोेड़ा मेें 883, बागेेश्वर मेें 374, चमोली में 833, चम्पावत मेें 1288, नैनीताल मेें 14085, पौड़ी में 4534, पिथौरागढ़ में 1019, रूप्रयाग मेें 906, टिहरी में 1925 तथा उत्तरकाशी में 954 केस शामिल हैै।
अधीनस्थ न्यायालयों मेें कुुल 34038 दीवानी केस लंबित है जिसमेें सर्वाधिक 12219 देहरादूून, 10427 हरिद्वार तथा 5777 उधमसिंह नगर जिलेे की अदालतों मेें लंबित है जबकि अल्मोड़ा में 356, बागेश्वर में 120, चलोेली मेें 271, चम्पावत मेें 189, नैैनीताल मेें 2313, पौड़ी में 1013, पिथौरागढ़ में 467, रूप्रयाग में 119, टिहरी में 298 तथा उत्तरकाशी जिले की अदालतोें में 489 दीवानी मामलेे लंबित हैै। सूूचना के अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन लंबित केसों के तीन प्रमुख कारण मानते है जिनमें न्यायालयों में जजों की कमी, अनावश्यक तारीखों को देना और वकीलों की हड़ताल है।