विकासनगर। कालसी व चकराता ब्लाक के 23 गांव आज भी सड़क का इंतजार कर रहे हैं। इन गांवों के लोग आज भी अपने घर तक का सफर पंगडंडियों के सहारे तय कर रहे हैं। यहां रहने वाली 11 हज़ार से अधिक की आबादी रोज़ाना पीठ पर समान ढो कर घरों को पहुँचा रहे हैं।
विकास का रास्ता सड़क से होकर गुजरता है, लेकिन चकराता व कालसी ब्लाक के इन 23 गांवों के लिए सड़क आजादी के 7 दशक बीत जाने के बाद भी सपना है। इन गांवों में रहने वाले लोगों को कृषी उपज से लेकर मरीज़ों को पीठ व खच्चर पर ढोना पड़ रहा है। ग्रामीण सरदार सिंह सिताराम परम सिह नारायण सिंह भारु सिह बारू दत्त का कहना है कि वह राज्य गठन के पूर्व व राज्य गठन के बाद से तारली बोहा धीरोग दिलऊ ढकियारना धोदउ बनसार झूटाया सेरी जगथान बुरायला गडेथा बसाया गांगरो कीटाड कुस्यो कचटा खाती बिनोऊ अस्टा लटऊ चामड़ी आदि गांवों के ग्रामीण सरकारों से सड़क बनाने की गुहार लगा लगा थक चुके है स्कूल जाने के लिए भी बच्चों को कई किलोमीटर की पैदल दूरी नापनी पड़ रही है। वह विधायक से लेकर मुख्यमंत्री की चौखट तक गुहार लगा चुके है लेकिन कोई सुध लेने को तैयार नही है। इस मामले में उपजिलाधिकारी चकराता बृजेश तिवारी का कहना है कि सड़क निर्माण शासन स्तर का मामला है।