लंबे विचार विमर्श व सियासी दांवपेंच के बाद भाजपा सरकार ने 28 अधिवक्ताओं को सरकारी अधिवक्ता नियुक्त कर दिया है। सूची में ऐसे भी अधिवक्ता हैं, जो कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में सरकारी अधिवक्ता नियुक्त हुए। जिनको लेकर भाजपा संगठन में नाराजगी है। माना जा रहा है कि जल्द सरकार स्टैंडिंग काउंसिल व ब्रीफ होल्डर की सूची भी जारी कर देगी। जिसको लेकर जोड़तोड़ तेज हो गई है।
भाजपा सरकार अब तक नैनीताल हाई कोर्ट में महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर की ही नियुक्ति कर सकी थी। हाल ही में सरकार द्वारा कांग्रेस कार्यकाल में नियुक्त तीन दर्जन अधिवक्ताओं को हटा दिया गया था। अपर सचिव न्याय महेश चंद्र के हस्ताक्षरों से तथा संयुक्त सचिव रितेश कुमार श्रीवास्तव की ओर से जारी सूची में 28 अधिवक्ता शामिल हैं।
सूची में वरिष्ठ अधिवक्ता मोहन चंद्र पांडे, वरिष्ठ अधिवक्ता जेपी जोशी, वरिष्ठ अधिवक्ता बीडी उपाध्याय को अपर महाधिवक्ता, अधिवक्ता व भाजपा नेता बिन्देश कुमार गुप्ता, मोहन चंद्र तिवारी, ममता बिष्ट, हर्षमणि रतूड़ी, संदीप टंडन, सुभाष त्यागी, कौस्तुभानंद जोशी, अमित भट्ट, विनोद कुमार जैमिनी, पंकज पुरोहित, सुधीर कुमार चौधरी, शैलेंद्र सिंह चौहान, सुनील खेड़ा, भाजपा विधि प्रकोष्ठ प्रदेश संयोजक तेज सिंह बिष्ट, नाथी सिंह पुंडीर, विनोद कुमार नौटियाल समेत कुल 16 अधिवक्ताओं को उप महाधिवक्ता, अनिल कुमार जोशी, योगेश कुमार पांडे, चंद्रशेखर रावत को अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता, गजेंद्र सिंह संधू को शासकीय अधिवक्ता, प्रेम सिंह बोहरा, शेर सिंह अधिकारी, टेकचंद्र अग्रवाल, जगजीत सिंह विर्क तथा प्रतिरूप पांडे को सहायक शासकीय अधिवक्ता नियुक्त किया गया है।
आदेश में यह भी साफ किया गया है कि सरकार की ओर से की गई आबद्धता व्यावसायिक है, सिविल पद पर नियुक्ति नहीं है। सरकार को छूट है कि किसी भी समय बिना पूर्व सूचना के आबद्धता समाप्त की जा सकती है जबकि अधिवक्ता लिखित सूचना देकर आबद्धता खुद भी खत्म कर सकते हैं।