उत्तराखंड में धार्मिक यात्रा का विशेष महत्व इस पाहडी राज्य की आर्थिकी का मुख्य जरिया पर्यटन से होता है।उत्तराखण्ड की रीढ़ कहे जाने वाली चार धाम यात्रा के लिए पहली बार आल वेदर रोड के लिए केंद्र सरकार ने 300 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी है। जिससे बरसात के सीजन में लगातार लेंड स्लाइड से बन्द होने वाली रोड से यात्रा प्रभावित और यात्रियों को होने वाली परेशानियों से निजात मिलेगी।
देव भूमि का प्रवेश द्वार ऋषिकेश जहाँ से चार धाम यात्रा का शुभारभ होता है,और सालभर देश-विदेश से तीर्थयात्री उत्तराखंड के दर्शन के लिए आते है लेकिन सालों से यहाँ की सड़कें कभी भूस्खलन तो कभी अति बारिश से प्रभावित रहती है। ऐसे में यहाँ का पर्यटन उद्योग मात्र 3-4 महीने ही चल पाता है और साल भर कभी सर्दी तो कभी बारिश की मार से उद्योग प्रभावित रहता है। ऐसे में केंद्र सरकार की महत्वकांशी योजना आल वेदर रोड यहाँ के पर्यटन उद्योग के साथ साथ देश विदेश से आने वाले यात्रियों के लिए भी एक नयी सौगात लेकर आयी है,जिससे पहाड़ों पर हर मौसम में यात्रा की जा सकेगी।
वहीँ उत्तराखंड में चार धाम यात्रा करा रही एशिया की सबसे बड़ी सहकारी समिति संयुक्त रोटेशन ने इसे राज्य के पर्यटन की दिशा में मील का पत्थर बताया है। संयुक्त रोटेशन के अध्यक्ष सुधीर राय का कहना है कि प्रधानमंत्री ने राज्य निर्माण के बाद ये सबसे बड़ी सौगात उत्तराखंड वासियो को दी है जो सड़क परिवहन के साथ साथ राज्य के पर्यटन व्यवसाय के लिए भी संजीवनी का काम करेगी।अगर यह रोड जल्द बन जाती है आने वाले सालो में धार्मिक पर्यटन के साथ साथ एवेंचर टूरिज्म के लिए भी कई संभवनाये हो जाएगी, ॉयात्री साल भर उत्तरखंड में यात्रा का आनंद ले सकेंगे।
उत्तराखंड के चार धाम हिंदुओं की आस्था के प्रमुख केंद्र माने जाते हैं प्रतिवर्ष देश विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु यात्रा के लिए आते हैं,लेकिन यात्रा में मौसम की मार हमेशा रूकावट पैदा करती है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आल वेदर रोड उत्तराखंड के पर्यटन के लिये मील का पत्थर साबित होगी।