कांवड़ मेला सम्पन्न होने के बाद शुक्रवार को भी आसपास के क्षेत्र के कांवडिए जल भरकर अपने गंतव्य की ओर रवाना हुए। पांच दिनों से सम्पूर्ण शहर पर कांवड़ियों का कब्जा रहने के बाद शुक्रवार राहत मिली। इस बार कांवड़ मेले ने अर्द्धकुंभ को भी फेल कर दिया। इस बार कांवड़ियों की संख्या ने चार करोड़ का आंकड़ा भी पार किया।
कांवड़ मेले के दौरान करीब 36 कांवड़ियों को इस बार अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, जो कि पिछले कांवड़ मेले में कांवड़ियों की हुई मौत से अधिक रहा। वहीं 60 से अधिक कांवड़िए घायल भी हुए। कांवड़ियों की भीड़ के कारण शहर में अव्यवस्थाओं का जहां बोलबाला दिखाई दिया, वहीं आए दिन कांवड़ियों और पुलिस के बीच झड़प की खबरें भी आती रहीं। बावजूद इसके कांवड़ियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती गई और अंतिम दिन कांवड़ियों की संख्या ने चार करोड़ के आंकड़े को भी पार कर लिया, जो कि विगत कांवड़ मेले में कांवड़ियों की संख्या से कहीं अधिक रही। विगत वर्ष कांवड़ियों की संख्या तीन करोड़ से अधिक रही। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अलर्ट व आतंकी घटनाओं की आशंका भी कांवड़ियों की भक्ति को नहीं डिगा पाई।
मेला सकुशल सम्पन्न होने पर जहां पुलिस प्रशासन ने चैन की सांस ली, वहीं स्थानीय लोगों को भी सुकून मिला और वह अपने रुके हुए कार्यों को पूरा करने के लिए घरों से निकले। 11 दिनों तक चला कांवड़ मेला सकुशल तो सम्पन्न हो गया किन्तु अपने पीछे वह शहर में गंदगी के अंबार छोड़ गया।
कांवड़ मेला सकुशल सम्पन्न कराना पुलिस प्रशासन के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था। मुस्तैदी के साथ पुलिस प्रशासन ने कांवड़ मेले को सकुशल सम्पन्न कराया। जहां मेला सकुशल सम्पन्न होने पर पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस ली, वहीं स्थानीय लोगों को भी खासी राहत मिली।
बतादें कि विगत दस दिनों में कांवड़ियों के उमड़े हुजुम और शहर में लगे जाम के कारण स्थानीय लोग खासे परेशान थे। घरों से निकलना तक उनके लिए दूभर हो गया था। आलम यह था कि मरीज को चिकित्सक के पास ले जाने तक में दिक्कतें आ रही थीं। एक तो बेतहाशा भीड़ और ऊपर से कान फोड़ू डीजे व साइलेंसर वाली बाइकों की आवाजों ने लोगों का जीना मुहाल किया हुआ था। उनके लिए मुश्किल हो रखा था कि घर से चंद कदमों की दूरी तय करने के लिए भी घंटों जाम में फंसे रहना पड़ेगा। शुक्रवार कांवड़ मेला सम्पन्न होने से लोगों को खासी राहत मिली तथा रोजमर्रा के कामों को निपटाया।