उत्तराखंड के सरकारी ”रेस्ट हाउस” में अब फिल्म य़ूनिट को मिलेगी ’50 प्रतिशत’ की छूट

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पहाड़ी राज्य में फिल्म शूटिंग को बढ़ावा देने पर नजर रखने के साथ-साथ उत्तराखंड सरकार ने पर्यटन विभाग के होटलों के कमरों के टैरिफ में फिल्म यूनिट को 50 प्रतिशत छूट देने का फैसला किया है।

उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (यूटीडीबी) के सीईओ मीनाक्षी सुंदरम ने पिछले सप्ताह गढ़वाल और कुमाऊं मंडल विकास निगम को एक पत्र जारी किया जिसमे,kmvn rest house सुंदरम ने कहा कि, ‘राज्य में फिल्म पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिए कलाकारों, कास्ट और क्रू (फिल्म यूनिट) के लिए आवास सुविधाओं में इस तरह की छूट प्रदान करना महत्वपूर्ण है’। इसके अलावा सुंदरम ने दोनों कार्पोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर को यह निर्देश दिया है कि यह छूट वह अपने अपने क्षेत्रों में लागू कर दें।

राज्य भर में जीएमवीएन और केएमवीएन द्वारा संचालित 130 से अधिक पर्यटक रेस्टरुम और बंगले हैं।

हालांकि यह छूट एक कंडीशन के साथ आएगी कि टूरिज्म पीक के महीने जैसे कि मई, जून और अक्टूबर मे लागू नहीं होंगे- जिसके बारे में फिल्म एक्सपर्ट का कहना है कि यह तीन महीनें ही पहाड़ी क्षेत्रों में फिल्मों की शूटिंग के लिए ज्यादा बेहतरीन माने जाते है।एक्सपर्ट का कहना है कि इन महीनो में शूटिंग करने का मुख्य कारण होता है मौसम और लाइटिंग कंडीशन जो फिल्मों के लिए परफेक्ट होती है।

उत्तराखंड स्थित लाइन प्रोड्यूसर संजीव मेहता, जिन्होंने यहां कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग का समन्वय किया है, उनके मुताबिक ‘यदि वास्तव में फिल्म शूटिंग को बढ़ावा देने में अच्छे परिणाम चाहते है, तो सरकार को छूट की अवधि को वर्ष भर में विस्तार करने पर विचार करना चाहिए या कम से कम उन चार महीने यात्रा मार्गों के अलावा सभी रेस्टहाउस में छूट (पीक महीनों के दौरान) देना चाहिए। हर साल छह महीने की लंबी तीर्थयात्रा पहाड़ी राज्य में लाखों पर्यटकों को आकर्षित करती है।

2015 में राज्य की फिल्म नीति को प्रभावी बनाने के बाद 60 से अधिक फिल्में,डाक्यूमेंट्री, टीवी धारावाहिक, वीडियो एल्बम, क्षेत्रीय फिल्मों और विज्ञापन फिल्में की पहाड़ी राज्य में शूटिंग की गईं है। पूरे साल में फिल्म यूनिट को कमरे के किरायें में मिलने वाली रियायत के अलावा, क्षेत्रीय फिल्म निर्माताओं ने भी मांग की है कि इस छूट को 70 प्रतिशत तक बढ़ाया जाए क्योंकि स्थानीय फिल्म यूनिट आमतौर पर सीमित संसाधनों में काम करती हैं।

इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उत्तराखंड फिल्म डेवलेपमेंट काउंसिल के डेप्यूटी डायरेक्टर के.एस चौहान ने न्यूज़पोस्ट टीम को बताया कि ”बड़े बजट की फिल्म यूनिट को सब्सिडी से कुछ लेना देना नहीं होता,और उन्हें सब्सिडी की आवश्यकता भी नहीं होती। यह एक अच्छी और सकारात्मक पहल है खासकर छोटे बजट की फिल्म के लिए और क्षेत्रीय फिल्म यूनिट के लिए। चौहान ने कहा कि इस पहल से क्षेत्रीय फिल्मकारों को बहुत मदद मिलेगी और यह उनके लिए अच्छी खबर है।