रिटायर्ड फौजी के प्रयासों से लोगों को मिल रहा रोजगार

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गरीबी और रोजगार को लेकर पहाड़ पलायन का दर्द झेल रहा है। लेकिन, इसी पहाड़ में ऐसे भी लोग हैं, जो पलायन करने वालों को आईना दिखा रहे हैं। इन्हीं में शामिल हैं बेरीनाग के बर्षायत के धौलकटिया गांव निवासी पूर्व सैनिक गोविंद बल्लभ पंत। सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने गांव में ही फलों का बाग तैयार किया। ग्रामीणों को गांव में रोजगार के साधन मुहैया कराए और युवाओं को जैम आदि बनाने का मुफ्त प्रशिक्षण भी देते हैं। उन्हीं के प्रयासों से आज गांव के कई युवा फल उत्पाद तैयार कर अपनी आजीविका चला रहे हैं।

असम राइफल में 26 वर्ष की सेवा के बाद गोविंद अब गांव में नई इबारत लिख रहे हैं। अन्य पूर्व सैनिकों की तरह रिटायर होने के बाद किसी कस्बे या नगर में बसने के बजाय उन्होंने गांव को पलायन व विपन्नता से उबारने की ठानी। सौ नाली भूमि में उन्होंने बाग तैयार किया, जिसमें आम, लीची, अमरूद, नींबू, जामिर, कटहल, हरड़, च्यूरा, इलायची आदि के करीब 700 पेड़ अब फल देने लगे हैं।

गुजरात तक पहुंची फलों की खुशबूः पूर्व फौजी गोविंद के बगीचे के फलों की खुशबू गुजरात तक पहुंच चुकी है। अहमदाबाद गुजरात निवासी रवींद्र मजूमदार बेरीनाग आए थे और यहां उनकी भेंट गोविंद से हुई। उनके बाग को देख मजूमदार खासे प्रभावित हुए। गुजरात पहुंचकर उन्होंने गोविंद के बाग का धौलकटिया बायो डाइवर्सिटी फार्म एंड रिसर्च सेंटर के नाम से पंजीकरण कराया और केसीटी कुमाऊं चेरिटेबल ट्रस्ट से आर्थिक मदद दिलाई।

मजूमदार ने पूर्व फौजी की मेहनत को देखते हुए इसे मॉडल गार्डन बनाने का दावा किया है। बगीचे से उत्पादित फलों से उत्पाद तैयार कर उन्हें देश के अन्य राज्यों में बेचने की योजना बनाई है। इसके लिए यहां पर उपकरण और मशीने पहुंच चुकी हैं। इस वर्ष पहली बार आधा क्विंटल जामीर का आचार तैयार कर गुजरात के बाजार तक पहुंच चुका है।

ग्रामीणों को मिला रोजगारः गांव के 15 ग्रामीण स्थायी रूप से उनके बाग में बारहों महीने रोजगार पा रहे हैं। जबकि, 35 से 40 लोगों को समय-समय पर रोजगार मिलता है। पहले उन्हें मजदूरी के लिए भटकना पड़ता था, लेकिन अब गांव में ही उन्हें काम मिल जाता है। इसमें तमाम मजदूरों को फल से तैयार उत्पाद बाजारों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।

 पूर्व सैनिक के प्रयासों से कई लोगों को रोजगार मिल रहा हैःग्राम प्रधान संगठन के अध्‍यक्ष चारु पंत का कहना है कि पूर्व सैनिक के प्रयासों से कई लोगों को रोजगार मिल रहा है। क्षेत्र के लोगों को उनके बगीचे से जैविक उत्पाद मिल रहे हैं और रोजगार भी।