बद्रीनाथ केदार नाथ समिति के मामले में उत्तराखंड सरकार को एक बार फिर हाई कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने एक बार फिर सरकार के समिति कोे भंग करने के फैसेल पर स्टे लगा दिया है। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने अप्रैल के महीने में बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति को भंग कर दिया था। इसके बाद समिति के कुछ सदस्य कोर्ट पहुंचे और कोर्ट ने 30 मई को राज्य सरकार को समिति को बहाल करने के आदेश दिये थे। हांलाकि 8 जून को सरकार ने स्पेशल क्लाॅज का हवाला देते हुए समिति को दोबारा भंग कर दिया था। हाई कोर्ट ने गुरुवार को इस पर स्टे लगा दिया।
राज्य सरकार ने समिति एक्ट के क्लाॅज 2 ए, सेक्शन 11 का हवाला देते हुए इसे दोबारा भंग किया था। भंग करने करने के प्रमुख कारणों में से एक था सात मनोनीत सदस्यों का चयन जो कि सरकार के अनुसार समिति के संविधान के सेक्शन 5 के तहत नहीं हुआ। हांलाकि याचिकाकर्ता ने दलील दी कि ये कारण वैध नहीं है और समिति के किसी भी काम काज पर आज तक कोई विवाद नहीं खड़ा हुआ है।
गौरतलब है कि कांग्रेस सरकार के समय गठित हुई समिति में ज्यादातर सदस्य और पदाधिकारी कांग्रेस से ताल्लुक रखते हैं जिसमें सबसे पहले समिति के चेयरमैन उस समय के कांग्रेसी विधायक गणेश गोदियाल हैं।