बाघों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर न हों शेयर: एनटीसीए

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सोशल मीडिया और खासतौर पर फेसबुक और वाॅट्स एप्प पर बाघों की तस्वीरों के लगातार वाइरल होने पर नेशनल टाइगर कंनसर्वेशन एथोरिटी (एनटीसीए) ने आपत्ति जताई है। पिछले कुछ सालों में बाघों की तस्वीरों को सोशल साइट्स पर शेयर करने का चलन बढ़ा है।  इस पर ध्यान देते हुए बाघों की सुरक्षा के लिये काम कर रही सर्वोच्च संस्थान एनटीसीए ने देशभर के सभी चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डनों को पत्र लिखकर अपने इलाकों में खासतौर पर अपने स्टाफ को इस तरह की तस्वीरों को शेयर करने से मना करने को कहा है।पत्र में एनटीसीए ने कहा है कि इस पिछले कुछ समय से बाघों की जंगलों में तस्वीरें और कैमरा ट्रेप में कैद तस्वीरें सोशल मीडिया में शेयर करती देखी गई हैं। ये बाघों की सुरक्षा के लिये हानिकारक है क्योंकि इनसे शिकारियों को बाघों की लोकेशन का अंदाजा लग सकता है।

एनटीसीए के इस कदम से वाइलड लाइफ से जुड़े जानकार भी सहमत हैं। उत्तराखंड के पूर्व चीफ वाइलड लाइफ वाॅर्डन श्रीकांत चंदोला कहते हैं कि “तस्वीरों के जरिये बागों की निशानदेही करना शिकारियों के लिये आसान हो जाता है। एनटीसीए की एडवाइसरी सही दिशा में है।” साथ ही चंदोला ये भई कहते हैं कि “इस तरह की पहल के साथ साथ ये भी जरूरी है कि शिकार रोकने के लिये और तकनीक का इस्तेमाल किया जाये। जैसे कि ड्रोन की मदद से निगरानी रखना और साथ ही जमीन पर गश्त करने के लिये और कर्मियों की तैनाती की जाये”

बाघों के संरक्षण और बचाव को लिये लंबे समय से काम चल रहा है। इस काम में सोशल मीडिया ने भी लोगों को जागरूक करने में बड़ी भूमिका निभाई है।। लेकिन अब उन्हीं बाघों को बचाने के लिये सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का एनटीसीए का फैसला सही हो सकता है मगर इतना तय है कि सही मायनों में बाघों को बचाने के लिये अबी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।