उक्रांद में प्राण फूंकने की तैयारी

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मुख्यमंत्री

प्रदेश के विधानसभा चुनाम में बुरी तरह से जनाधार खो चुके उत्तराखण्ड क्रांति दल में प्राण फूंकने के लिए एक बार फिर कवायद शुरू हो गई है। उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय अध्यक्ष दिवाकर भट्ट पार्टी के बड़े नेताओं के साथ मिलकर रणनीति पर काम कर रहे हैं। उक्रांद अपने आंदोलन की शुरुआत श्रीयंत्र टापू से करने की रणनीति बना रही है। राज्य आंदोलन के वक्त इसी स्थान से आंदोलन का रुख बदल गया था। उत्तराखंड क्रांति दल का अब केवल राज्य में नाम ही शेष है। कई बार टूट चुकी पार्टी एक बार फिर साथ खड़ी हुई है। केंद्रीय अध्यक्ष दिवाकर भट्ट पार्टी एक बार फिर दल को पुनर्जीवित करने के लिए ऑक्ससीजन तलाश रहे हैं। पार्टी के अंदर से आ रही खबरों की मानें तो दिवाकर भट्ट एक बड़ी लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं। जिससे सरकार के साथ ही प्रदेश की जनता निसंदेह आश्चर्यचकित हो सकती है।

सोमवार को हुई पत्रकार वार्ता में दिवाकर भट्ट ने इसके संकेत तो दिए। लेकिन अपनी रणनीति बताने से परहेज किया। उन्होंने आगाह किया कि जिस तरह से उत्तराखंड आंदोलन के दौरान श्रीयंत्र घटना की किसी को भनक नहीं थी, लेकिन उस घटना ने राज्य के आंदोलन का रुख ही बदल दिया था उसी तरह अब उक्रांद फिर से राज्य की समस्याओं को लेकर आंदोलन खड़ी करने की तैयारी में है। राजधानी गैरसैंण, शराब बंदी, परिसंपत्ति बंटवारा, किसानों के ऋण माफ़ी और खनन में स्थानीय लोगों की भागेदारी जैसे कई मुद्दों को लेकर उक्रांद मैदान में उतरने की तैयारी कर रहा है। सूत्रों की मानें तो जिलों के बाद केंद्रीय संगठन के पुनर्गठन होते ही गैरसैण से उक्रांद बिगुल फूंकने की तैयारी कर रहा है। ज़िलों की कार्यकारिणी गठन के बाद केंद्रीय संगठन बनते ही गैरसैंण में महामंथन या महारैली के साथ ही आंदोलन का आगाज हो सकता है।


पार्टी सूत्रों के अनुसार केंद्रीय नेतृत्व का गठन 25 जुलाई तक हो सकता है। पार्टी अध्यक्ष दिवाकर भट्ट ने राज्य को पांच लोकसभा क्षेत्रों में बांट कर पार्टी के बड़े नेताओं को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। अल्मोड़ा की जिम्मेदारी काशी सिंह ऐरी, नैनीताल डॉ. नारायण सिंह जंतवाल, पौड़ी शक्ति शैल कपरुवाण, टिहरी त्रिवेंद्र पंवार तो हरिद्वार बीड़ी रतूड़ी संभालेंगे।