उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर जुलाई में दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों की बैठक होगी। इस बैठक में राज्य गठन के बाद से ही परिसंपत्ति बंटवारे के लंबित मुद्दों के सुलझने के आसार है। हालांकि अभी इस बैठक की तिथि तय नहीं है लेकिन इससे पहले एक जुलाई को दोनों प्रदेशों के मुख्यसचिवों के बीच बैठक होनी प्रस्तावित है। इस बैठक में 18 से अधिक विभागों की परिसंपत्ति व देनदारी पर चर्चा की जाएगी।
उत्तराखंड के अलग राज के बाद से ही परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा है। दरअसल, उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग कर नया राज्य बनाया गया तो यहां की प्रशासनिक और आर्थिक व्यवस्था को चलाने के लिए दोनों के बीच परिसंपत्तियों का बंटवारा हुआ। इस बंटवारे के बाद भी उत्तराखंड के कई विभागों को उनकी पूरी परिसंपत्ति नहीं मिल पाई। इसका कारण दोनों प्रदेशों के बीच विवाद रहा। यहां तक कि कुछ मामले न्यायालय में भी विचाराधीन हैं। प्रदेश में आने वाली कई सरकारों ने इस दिशा में पहल की, लेकिन बात बहुत आगे नहीं बढ़ पाई।
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद अब इस दिशा में सकारात्मक पहल हुई है। इससे दोनों राज्यों के बीच वर्षो से लंबित परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर चल रहे विवाद के समाधान की उम्मीद भी जगी है। दरअसल, मुख्यमंत्री पद ग्रहण करने के कुछ समय बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तर प्रदेश गए और वहां के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से मुलाकात की। दोनों के बीच परिसंपत्ति बंटवारे में आ रही दिक्कतों के समाधान को लेकर एक बैठक भी हुई। उसके बाद इस दिशा में सकारात्मक कदम भी उठे। हाल ही में उत्तर प्रदेश ने 33 नहरों व कुछ सरकारी कार्यालयों से अपना कब्जा छोड़ दिया है।
दोनों प्रदेशों के मुख्य सचिवों और फिर मुख्यमंत्रियों के बीच होने वाली बैठक को देखते हुए शासन में इन दिनों तेजी से काम चल रहा है। मुख्य सचिव एस रामस्वामी स्वयं विभागों के साथ एक दौर की बैठक कर चुके हैं। अब सभी विभागों को विवादित परिसंपित्तयों पर अपना पूरा होमवर्क कर दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा गया है, ताकि बैठक में विवादित बिंदुओं पर प्रदेश सरकार की ओर से पुरजोर पैरवी की जा सके।