उत्तराखण्ड के न्यायालयों में दो लाख से अधिक केस पेंडिंग

0
646
हाईकोर्ट

उत्तराखंड के न्यायालयों में कुल 2 लाख 31 हजार 478 केस लंबित है जिसमें 32190 मामले उच्च न्यायालय में लम्बित है। इसके अतिरिक्त उत्तराखंड के न्यायालयों में एक चौथाई से अधिक जजों व मजिस्ट्रेटों के पद रिक्त हैं। यह तथ्य सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को उत्तराखंड उच्च न्यायालय के लोक सूचना अधिकारी द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से प्रकाश में आया है।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के लोक सूचना अधिकारी से उत्तराखंड में लम्बित केसों के विवरण की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में हाईकोर्ट के लोेक सूचना अधिकारी/उप निबंधक के.सी. सुयाल ने पत्रांक 2441 से सम्बिधित विवरणों की सत्यापित फोटो प्रतियां उपलब्ध करायी है।

नदीम को उपलब्ध कराये गये जनवरी-मार्च 2017 के विवरण के अनुसार 31 मार्च 2017 को उत्तराखंड उच्च न्यायालय में 32190 केस लम्बित है जिसमें 22537 सिविल तथा 9653 फौजदारी केस शामिल हैं। इसके अतिरिक्त अधीनस्थ न्यायालय में कुल 1 लाख 99 हजार 288 केस लम्बित है। जिसमें 32770 सिविल तथा 1 लाख 66 हजार 518 फौजदारी मामले शामिल हैं।
सूचना से मिली जानकार के अनुसार 31 मार्च 2017 को उच्च न्यायालय में 11 जजों के स्वीकृत पदों मेें से 4 रिक्त थे तथा अधीनस्थ न्यायालयों में जजों व न्यायिक अधिकारियों के कुल 291 पदों में से 75 पद रिक्त हैं। उल्लेखित है हाईकोर्ट में इसके बाद 3 जजों की नियुक्ति होने से हाईकोर्ट में 1 रिक्त पद रह गया है।

हाईकोर्ट में दिसम्बर 2014 के अन्त में कुल 23105 लम्बित केस लम्बित थे जो दिसम्बर 2015 में बढ़कर 26680, 2016 में बढ़कर 32004 तथा मार्च 2017 में 32190 हो गये है।
अधीनस्थ न्यायालय में दिसम्बर 2014 के अंत कुल लम्बित केसों की संख्या 1 लाख 45 हजार 326 थी, जो दिसम्बर 2015 में 1,66,618 दिसम्बर 2016 में 190948 तथा मार्च 2017 में 1,99,288 हो गयी है।
हाईकोर्ट व अधीनस्थ न्यायालयों में अपराधिक (फौजदारी) के लम्बित केसों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। जहां 2014 के अंत में हाईकोर्ट में अपराधिक मामले केवल 6436 लम्बित थे, 2015 में बढ़कर 8120 तथा 2016 में 9440 हो गये तथा मार्च 2017 में इनकी संख्या 9653 थी।

 इसी प्रकार अधीनस्थ न्यायालयों में 2014 के अंत में कुल 1 लाख 15 हजार 723 अपराधिक मामले न्यायालयों में लम्बित थे जो 2015 में बढ़कर 135736 तथा 2016 में 1,58,886 हो गये तथा मार्च 2017 में 1,66,518 हो गये हैं।