मैड के प्रयास से दून की नदियों के पुनर्जीवन के लिये सीएम कार्यालय ने दियेे निर्देश

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दून के शिक्षित छात्रों के संगठन, मेकिंग अ डिफरेंस बाय बीइंग द डिफरेंस (मैड) के सुझाव पर सीएम कार्यालय ने सिंचाई विभाग से दून की नदियों के पुनर्जीवन पर, केंद्र के नमामि गंगे कोष से सहायता लेने पर उचित कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। इस पत्र की एक प्रति मैड के संस्थापक अध्यक्ष अभिजय नेगी से भी सांझा की गई।

गौरतलब है कि अप्रैल में मैड के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भेंट कर के यह सुझाव दिया था। मैड ने अपनी प्रस्तुति में बताया था कि संस्था के आग्रह पर केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय अप्रैल 2016 में ही रिस्पना-बिंदाल को गंगा रिवर बेसिन का भाग घोषित कर चुका है। इसलिए नमामि गंगे कोष से इन नदियों को पुनर्जीवित करने के लिये राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रुड़की द्वारा अपनी 2014 की शोध रिपोर्ट में 1 करोड़ रुपये की तय की गई लागत को पूरा किया जा सकता है, जिनसे इन नदियों के पुनर्जीवन पर काम शुरू किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जल संग्रक्षण से संबंधित उत्तरकाशी, डोईवाला, हल्द्वानी एवं देहरादून के चार सुझाव सिंचाई विभाग को कार्यवाही के लिए भेजे है, जिसमें दून से संबंधित सुझाव मैड के नदियों के पुनर्जीवन से संबंधित है। अपनी छठी वर्षगांठ मनाने के मौके पर मैड ने मैडाथान के आयोजन के ज़रिए हज़ारो युवाओ को नदियों की दयनीय स्थिति की तरफ संवेदनशील होने का आग्रह किया था। इसके बाद मैड ने ‘वाटर मैन’ राजेन्द्र सिंह से रिस्पना तल पर भेंट कर, लगातार नुक्कड़ नाटक के आयोजन के ज़रिए जागरूकता का प्रयास किया था।