मैं शक्तिमान नहीं जो तुरन्त ही किसी समस्या का समाधान कर दूं।जी हां, ये कहना है प्रदेश के शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय का, शिक्षा मंत्री के इस बेतुके बयान से जहां विवादों का दौर शुरु हो गया है वहीं हाईकोर्ट से लगातार मिल रही फटकार से बौखलाई सरकार और शिक्षा मंत्री अब इस तरह के बेतुके बयानबाजी पर उतर आये हैं, जिससे जाहिर है कि शिक्षा महकमा बच्चों के प्रति गितना गंम्भीर है।
नैनीताल हाईकोर्ट की कड़ी फटकार के बाद भी स्कूलों के जर्जर भवनों को लेकर राज्य सरकार गंभीर नहीं दिख रही है। इस बात को साबित करने के लिए प्रदेश के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय का विवादास्पद बयान ही काफी है। नैनीताल क्लब में इस मुद्दे पर उन्होंने बेतुका बयान दे डाला। बारिश में जर्जर स्कूल भवनों में पढ़ने वाले बच्चों को नसीहत देते हुए पांडेय ने कहा कि ‘बच्चे अपना ख्याल खुद रखें, मैं कोई शक्तिमान नहीं हूं। जिंदगी रही तो पढ़ाई अगले साल कर लेंगे’। उन्होंने दावा किया कि एक साल के भीतर स्कूलों की व्यवस्थाओं में सुधार साफ नजर आएगा।
शिक्षामंत्री लेक सिटी क्लब की ओर आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह में शिरकत करने के लिए नैनीताल आए थे। नैनीताल क्लब में पत्रकारों से संक्षिप्त वार्ता में स्कूलों की बदहाल व्यवस्थाओं पर कहा कि जब राज्य में भाजपा की सरकार बनी थी तो हालात काफी खराब थे। तीन माह में काफी सुधार हुआ है। बच्चों के टाट-पट्टी पर बैठने के सवाल पर कहा कि सरकार प्रयास कर रही है कि हर स्कूल में फर्नीचर की व्यवस्था हो।
ड्रेस कोड के सवाल पर कहा कि कोई ड्रेस कोड नहीं हैं। मंत्री, अधिकारी और शिक्षक सभी की डे्रस समान हैं। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष होने वाली खेल प्रतियोगिताओं का सफल आयोजन कराया जाएगा। उत्तराखंड में खेल गांव न होने पर चिंता व्यक्त करते हुए खेल महाकुंभ का आयोजन कराने को लेकर हामी भरी। योग शिक्षकों की भर्ती पर उन्होंने कहा कि अभी थोड़ा इंतजार करें। पहले शिक्षकों की पुरानी समस्याएं निपटाना प्राथमिकता है।