प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों के लिए पहली बार लागू होने जा रही ड्रेस कोड व्यवस्था फिलहाल परवान चढ़ती नहीं दिख रही। सरकार ने शिक्षकों से एक अगस्त यानी आज से ड्रेस कोड में दिखने की बात कही है, लेकिन शिक्षक संगठनों ने खुले तौर पर सरकार का फरमान मानने से इन्कार कर दिया है। इसके पीछे शिक्षक संगठनों का तर्क है कि ड्रेस कोड के लिए उनकी सहमति नहीं ली गई। सरकार जबरन शिक्षकों पर इसे थोप रही है। अगर यह जरूरी है तो सरकार इसे विभागीय नियमावली में शामिल करे। ड्रेस कोड के लिए हल्ला मचाने वाली सरकार शिक्षकों की वर्षो पुरानी मांगों को लेकर चुप है। ऐसे में शिक्षक ड्रेस कोड को किसी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे।
प्राथमिक शिक्षक संघ के नैनीताल जिलामंत्री हरीश पाठक का कहना है कि वेतन विसंगति, नई पेशन योजना, समान पाठ्यक्रम, शिक्षक को गैर शिक्षण कार्यो से अलग करने समेत कई मांगों को लेकर संगठन वर्षो से आंदोलित है। सरकार इन पर चुप है। माध्यमिक शिक्षक संगठन ने अनिवार्य स्थानांतरण समेत कई मांगें उठाई हैं। ड्रेस कोड को शिक्षक सेवा नियमावली में शामिल कर ड्रेसिंग एलाउंस दिया जाए। जब तक यह नहीं होगा, शिक्षक विरोध जारी रखेंगे। वैसे भी ड्रेस कोड के बहाने शिक्षकों का ध्यान असल मुद्दों से हटाया जा रहा है। ड्रेस भत्ता नहीं मिलने तक इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। शिक्षकों की तमाम मांगें वर्षो से लंबित हैं। पहले वह पूरी हों। शिक्षकों का जबरन उत्पीड़न किया जाता है संघ इसका व्यापक विरोध करेगा।