शुक्रवार शाम एक बड़े बदलाव के तहत केंद्र सरकार ने पहलाज निहलानी को सेंसर बोर्ड के चेयरमैन पद से हटाने का फैसला कर लिया। पहलाज की जगह विज्ञापन फिल्मों के मशहूर नाम और कई फिल्मों में गीत लिखने वाले प्रसून जोशी को सेंसर बोर्ड का नया चेयरमैन नियुक्त करने का फैसला हुआ है। एक और अहम फैसले में अभिनेत्री विद्या बालन को भी सेंसर बोर्ड में बतौर सदस्य नियुक्त करने का फैसला हुआ है।
विवादों में घिरे रहे पहलाज निहलानी पर लंबे समय से विदाई की तलवार लटक रही थी और उनको हटाने की मुहिम लंबे वक्त से चल रही थी। अब तक सरकार पहलाज को हटाने के मुद्दे को टालती आ रही थी। सूत्रों का कहना है कि पहले मधुर भंडारकर और फिर अक्षय कुमार की फिल्मों पर कैंची चलाए जाने के सेंसर बोर्ड के रवैये की शिकायत केंद्र सरकार में उच्च स्तर तक पंहुची थी।ऐसा माना जा रहा है कि इन दो लगातार घटनाओं के बाद ही पहलाज को हटाने का फैसला किया गया। खबर लिखे जाने तक पहलाज निहलानी की ओर से इस खबर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। उनका फोन लगातार बंद मिल रहा है। नवनियुक्त चेयरमैन प्रसून जोशी की ओर से भी उनकी पहली प्रतिक्रिया का इंतजार है।
सेंसर बोर्ड के चेयरमैन के तौर पर पहलाज निहलानी का कार्यकाल विवादों से भरा रहा। फिल्मों के प्रति उनके रवैये को तानाशाही भरा माना गया और जिस तरह से पहलाज ने सेंसर बोर्ड को संस्कारी बनाने की कोशिश की, उसे लेकर भी मीडिया तथा फिल्म इंडस्ट्री में लगातार चर्चा होती रही। खुद पहलाज को भी संस्कारी बाबा के नाम से बुलाया जाने लगा था।
पहलाज निहलानी को हटाए जाने के सरकारी फैसले पर फिल्म इंडस्ट्री की ओर से पहली प्रतिक्रिया में इसे राहत भरी खबर माना गया है और इस फैसले के लिए सरकार की तारीफ हुई है। फिल्म निर्देशकों की संस्था इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर एसोसिएशन के प्रमुख अश्विनी चौधरी ने इसे इंडस्ट्री की लंबी लड़ाई का सुखद नतीजा बताया है।
सेंसर बोर्ड के सदस्य अशोक पंडित ने इसे देर से लिया सही फैसला कहा है। वरिष्ठ फिल्मकार मुकेश भट्ट ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि अब सेंसर बोर्ड में अराजकता और तानाशाही का अंत होगा। उन्होंने नए चेयरमैन के तौर पर प्रसून जोशी की नियुक्ति का स्वागत किया और उनको योग्य व्यक्ति बताते हुए कहा कि वे सबकी बेहतरी के लिए काम करेंगे।