आरके सिंह से अश्विनी चौबे और सत्यपाल सिंह तक, ये हैं मोदी कैबिनेट के 9 नए मंत्री।

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2019 आम चुनावों की तैयारी में मोदी कैबिनेट का सबसे महत्वपूर्ण विस्तार रविवार को हुआ, मंत्रिमंडल के लिए 9 चेहरों पर मुहर लगी। युवा से लेकर सफल ब्यूरोक्रेट्स रहे और अनुभवी नेताओं को शामिल किया गया है, सुबह 10.30 बजे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन्हें शपथ दिलायी। आईए, हम आपको बताते हैं उन 9 नामों के बारे में जिन्हें कैबिनेट में जगह मिली है।

गजेंद्र सिंह शेखावत: गजेंद्र सिंह शेखावत राजस्थान के जोधपुर से बीजेपी सांसद हैं। शेखावत भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा से जुड़े रहे हैं। अपनी साधारण जीवनशैली के लिए भी वह खासे लोकप्रिय हैं। गजेंद्र सिंह शेखावत राष्ट्रीय और यूनिवर्सिटी स्तर पर बास्केटबॉल खेल चुके हैं और ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ स्पोर्ट्स के सदस्य भी हैं।

आरके सिंह: आरके सिंह आरा, बिहार से लोकसभा सांसद हैं। 1975 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी आरके सिंह केंद्रीय गृह सचिव भी रह चुके हैं। उन्होंने 2013 में बीजेपी का दामन थामा था। एक दिलचस्प बात ये भी है कि सिंह ने समस्तीपुर का जिलाधिकारी रहते हुए बीजेपी के वरिष्ठ बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी को अक्टूबर 1990 में गिरफ्तार किया था। दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से पढ़े सिंह ने आपदा प्रबंधन सहित रक्षा उत्पाद सचिव, कृषि विभाग प्रमुख और जेल आधुनिकीकरण जैसे कई अहम कामों में योगदान दिया है।

हरदीप सिंह पुरी: हरदीप सिंह पुरी: दिल्ली से ताल्लुक रखने वाले हरदीप सिंह पुरी 1974 बैच के आईएफएस अफसर रह चुके हैं। वह संयुक्त राष्ट्र में कई अहम पदों पर रह चुके हैं। पुरी राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेशी मामलों के जानकार हैं। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में पढ़ाई की। अपने समय में वह छात्र नेता भी रहे और जेपी आंदोलन का हिस्सा भी रहे।

सत्यपाल सिंह: मुंबई के सुपर कॉप की पहचान वाले सत्यपाल सिंह उत्तर प्रदेश के बागपत से सांसद हैं। ये मुंबई पुलिस कमिश्नर रहे। सत्यपाल सिंह महाराष्ट्र कैडर से 1980 बैच के आईपीएस हैं। 1990 के दौर में मध्यप्रदेश और आंध्र प्रदेश में नक्सली इलाकों में काम करने के लिए भारत सरकार की ओर से सेवा मेडल से नवाजे जा चुके हैं। उन्होंने 2014 में बीजेपी में शामिल होने के बाद राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) प्रमुख अजित सिंह को हराया था। अजित सिंह का बागपत सीट पर 1989 से कब्जा था।

अल्फोंस कन्ननाथनम: 1979 केरल बैच के आईएएस अधिकारी और बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं। दिल्ली में कमिश्नर रहते हुए उन्होंने 14310 अवैध इमारतों को गिरा दिया था। जिसके बाद अल्फोंस काफी चर्चा में आए थे। अल्फोंस को 1994 में टाइम्स मैगजीन ने 100 यंग ग्लोबल लीडर्स की सूची में शामिल किया था। अल्फोन्स ने ‘मेकिंग अ डिफरेंस’ नामक पुस्तक भी लिखी है। जिला कलेक्टर के रूप में अल्फोंस ने भारत के पहले साक्षरता आंदोलन का बीड़ा उठाया और 1989 में केरल के कोयट्टम को भारत का पहला 100 प्रतिशत साक्षर टाउन बनाकर दिखाया। अल्फोंस का जन्म केरल के कोयट्टम के ही एक गांव में हुआ था।

शिव प्रताप शुक्ला: शिव प्रताप शुक्ला उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं। वह रुद्रपुर के रहने वाले हैं और 1989 से 1996 तक लगातार चार बार विधायक रहे हैं। माना जा रहा है कि गोरखपुर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई करने वाले शिव प्रताप को ब्राह्मण चेहरे के तौर पर कैबिनेट में जगह दी जा रही है। बता दें की मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री महेंद्र नाथ पांडेय को उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वह अब मोदी कैबिनेट से इस्तीफा देंगे। बहरहाल, शिव प्रताप 1970 के दशक में छात्र नेता के तौर पर राजनीति में अपने करियर की शुरुआत की। आपातकाल के दौरान वह 19 महीने जेल में भी रहे।

अश्विनी चौबे: अश्विनी चौबे बिहार के बक्सर से सांसद हैं। ये बिहार विधानसभा में लगातार पांच बार विधायक रहे हैं। पार्टी के प्रमुख ब्राह्मण चेहरे से माने जाते हैं। गिरिराज सिंह की कैबिनेट से छुट्टी के बाद इन्हें जगह दी जाएगी। अश्विनी चौबे बिहार सरकार में स्वास्थ्य, शहरी विकास और जनस्वास्थ्य, इंजिनियरिंग जैसे विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता चौबे ने 2013 में आई केदारनाथ त्रासदी पर एक किताब भी लिखी है। पटना यूनिवर्सिटी में छात्र संघ के अध्यक्ष रहे अश्विनी चौबे जेपी आंदोलन में भी सक्रिय रहे और जेल भी गए।

वीरेंद्र कुमार: वीरेंद्र कुमार मध्य प्रदेश के टिकमगढ़ से सांसद हैं और दलित समुदाय से आते हैं। वीरेंद्र कुमार 6 बार से लोकसभा सदस्य हैं। 1970 के दशक में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीभीपी) से जुड़े। कुमार इकनॉमिक्स में एमए और चाइल्ड लेबर में पीएचडी कर चुके हैं। गाय की रक्षा के लिए यह काम करते रहे हैं और मध्य प्रदेश के सागर में गौ-सेवा संघ सस्था में काफी सक्रिय हैं। खेल और संगीत में इनकी खासी रूचि है और माउथ अर्गन तक बजाते हैं।

अनंत हेगड़े: अनंत हेगड़े कर्नाटक से ताल्लुक रखते हैं और उत्तर कन्नड़ से लोकसभा सांसद हैं। पहली बार 28 साल की उम्र में सांसद बनने वाले हेगड़े एक्सटर्नल अफेयर और एचआरडी पर बनी पार्ल्यामेंट स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य हैं। अपने संसदीय जीवन में हेगड़े कई संसदीय समितियों के सदस्य रहे हैं। अनंत को ग्रामीण भारत का अच्छा जानकार माना जाता है और उन्होंने कदम्ब नाम की एक एनजीओ भी शुरू की है। उनका एनजीओ ग्रामीण विकास के कई क्षेत्रों में काम करता है।

इसके अलावा चार राज्य मंत्रियों को प्रियदर्शन के आधार पर प्रमोशन भी हुआ। प्रमोशन पाने वालों में :

निर्मला सीतारमन
धर्मेंद्र प्रधान
पीयूष गोयल
मुख़्तार अब्बास नक्वी हैं।