जैव विविधता से लबरेज व पारिस्थितिक तंत्र के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण दलमोठी वन क्षेत्र को ‘मिनी कॉर्बेट’ के रूप में विकसित करने का सपना पिछले तीन वर्षों से पूरा नहीं हो सका है। ‘कॉर्बेट नेशनल पार्क’ की तर्ज पर जंगल सफारी के लिए वन विभाग ने जहां शासन को दोबारा प्रस्ताव भेज रहा। वहीं चौबटिया सेब बागान को हाइटेक बना पर्यटन विकास की तैयारी में जुटे उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने भी इस दिशा में दिलचस्पी दिखा उम्मीदों को पंख लगाए हैं।
दरअसल, उद्यान मंत्री सुबोध ने विश्व प्रसिद्ध चौबटिया सेब बागान को पुराने स्वरूप में लाने के साथ ही इसे हाइटेक बनाने का खाका तैयार किया है। हालिया निदेशक डॉ. बीर सिंह नेगी के प्रस्ताव पर उन्होंने बाकायदा चौबटिया गार्डन के विस्तरीकरण, रेड डेलिशियस सेब आदि के लिए एक करोड़ का बजट भी स्वीकृत किया था। इधर होटल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने भावी ‘मिनी कॉर्बेट’ दलमोठी वन क्षेत्र को मूर्तरूप देने का आग्रह किया। इस पर सबोध ने वन मंत्री हरक सिंह रावत से मिलकर वन भूमि या एक्ट संबंधी अड़चन दूर कराने का भरोसा दिलाया है। ताकि जांगल सफारी शुरू करा पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा व स्थानीय स्तर पर रोजगार मुहैया कराया जा सके। मामले में डीएफओ अल्मोड़ा का कहना है कि प्राकृतिक रूप से समृद्ध दलमोठी वन क्षेत्र के मामले में प्रभावी प्रयास जारी हैं। उन्होंने बताया कि पर्यटन विकास को जैवविविधता वाले इस क्षेत्र में जंगल सफारी आदि के लिए शासन को दोबारा प्रस्ताव भेज रहे हैं।
‘फ्लोरा एंड फॉना’ फॉर्मूला से बदलनी थी तस्वीर
वर्ष 2014 आखिर में हजारों वनस्पतिक प्रजातियों एवं वन्य जीवों वाले इस जंगलात को ‘फ्लोरा एंड फॉना’ के तहत संवारने का प्रस्ताव बना। तत्कालीन कांग्रेस सरकार में संस्कृति एवं मेला संरक्षण समिति सदस्य रहे वर्तमान विधायक करन माहरा व एसडीएम एपी वाजपेयी ने जंगल सफारी का प्रस्ताव बना शासन को भेजा था। मकसद था करीब 1200 हेक्टेयर में फैले वन क्षेत्र को पर्यटन गतिविधियों का बड़ा केंद्र विकसित कर वन एवं वन्य जीवों को संरक्षण प्रदान करना था।
विविध वनस्पति प्रजातियां व वन्य जीवों का संसार
दलमोठी में विभिन्न वनस्पति प्रजातियों व वन्य जीवों का मोहक संसार है। बहुपयोगी चौड़ी पत्ते वाले बांज, बुरांश, काफल, उतीस आदि प्रजातियों के साथ ही पारिस्थितिक तंत्र में सहायक हजारों वनस्पतियां। वहीं गुलदार, जंगल कैट, जंगली सुअर, भालू, हिरन, घुरड़, काकड़, बारहसिंघा आदि अनगिनत वन्यजीवों के साथ ही तीतर, बटेर, जंगली मुर्गे आदि मौजूद हैं।