जून 2013 की भयावह आपदा में केदारघाटी में भारी तबाही हुई। केदारनाथ धाम में मंदिर को छोड़ शेष पूरा क्षेत्र प्रभावित हुआ। इसके बाद से ही केदारनाथ धाम को नए सिरे से बनाने की कवायद चल रही है। प्रदेश सरकार इसमें केंद्र के सहयोग के साथ ही विभिन्न औद्योगिक समूहों और संस्थानों के साथ मिलकर निर्माण कार्यों को गति दे रही है।
केदारनाथ धाम में हो रहे पुनर्निर्माण कार्यों को पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार ने अक्टूबर 2018 तक का लक्ष्य रखा है। इसके बाद नए स्वरूप में आने वाली केदारपुरी को अगले वर्ष दशहरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की जनता को समर्पित करेंगे। इसके लिए केंद्र ने प्रदेश सरकार को पुनर्निर्माण कार्यों में तेजी लाने के लिए मिशन मोड में कराने के निर्देश दिए हैं।
केदारनाथ धाम के आसपास नदी पर सुरक्षा दीवार, मंदाकिनी व सरस्वती नदी के संगम पर घाट निर्माण किया जाना है। यह कार्य टिहरी हाइड्रोपावर डेवलपमेंट कारपोरेशन (टीएचडीसी) के माध्यम से होगा। सरस्वती नदी में बाढ़ सुरक्षा का कार्य जिंदल ग्रुप करेगा।
इसका प्रस्ताव केदारनाथ विकास प्राधिकरण को दिया जा चुका है। केदारनाथ मंदिर के द्वार से सरस्वती एवं मंदाकिनी नदी के संगम पर 300 मीटर के स्पान में लाउडस्पीकर लगाए जाने हैं। इनसे भजन व संगीत के जरिये दर्शन के लिए आए श्रद्धालुओं को केदारनाथ की महिमा सुनाई जाएगी।
इसी 300 मीटर के दायरे में दो स्थानों पर ऑक्सीजन की व्यवस्था भी की जानी है ताकि जरूरत पड़ने पर यात्रियों को उपलब्ध कराया जा सके। केदारनाथ में आपदा के दौरान तीर्थ पुरोहितों के साथ सरकार ने 113 घर बनाने का करार किया था। इनमें से अभी तक 40 घर ही बन पाए हैं। अब शेष 73 घरों का निर्माण जिंदल ग्रुप ने करना है। इसमें केदारपुरी के मास्टर प्लान का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
गौरीकुंड से केदारनाथ धाम के पैदल ट्रेक रूट का चौड़ीकरण किया जाना है। यह कार्य ओएनजीसी को सौंपा जा रहा है। इसके लिए शासन ओएनजीसी को पत्र भेज रहा है। इसके अलावा केदारनाथ में ठोस एवं तरल कूड़ा प्रबंधन की स्थायी व्यवस्था की जानी है। इसके लिए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण की गाईडलाइन के अनुसार वृहद कार्ययोजना बनाई जाएगी।
केदारपुरी के लिए हो रहे पुनर्निर्माण कार्यों के लिए भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के बीच पिछले दिनों नई दिल्ली में बैठक हुई।
केंद्र ने यह साफ किया है कि प्रदेश सरकार को मिशन मोड के तहत इन कार्यों को वर्ष 2018 तक कराना होगा ताकि अगले वर्ष दशहरा पर्व पर नई केदारपुरी को प्रधानमंत्री जनता को समर्पित कर सकें।