लगभग डेढ़ सौ साल पुरानी रामलीला का मंचन 21 से

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1868 में प्रारंभ उत्तराखंड की प्राचीन रामलीलाओं में शामिल रामलीला कला समिति द्वारा आयोजित रामलीला 21 सितम्बर से प्रारंभ हो रही है। 1868 में भक्त जामुना दास द्वारा इस रामलीला की शुरुआत करवाई गई थी, जिसमें तत्कालीन गुरुराम राय दरबार के महंत का पूरा आशीर्वाद था। उन्होंने रामलीला सम्पादित करने के लिए देहरादून में एक रामलीला भवन का निर्माण कराया। जिसके कारण आज भी उस क्षेत्र में रामलीला बाजार नगर का प्रमुखतम बाजार है।

2018 में रामलीला कला समिति अपना 150 वां स्थापना दिवस मनाएगी, जो अपने आप में किसी इतिहास के कम नहीं है। इस बात की जानकारी देते हुए रामलीला कला समिति के अध्यक्ष राकेश स्वरूप, उपाध्यक्ष केके अरविंद गोयल तथा कोषाध्यक्ष शोभित मांगलिक के साथ-साथ संरक्षक समिति के अध्यक्ष रविन्द्र नाथ मांगलिक, महामंत्री सोमप्रकाश शर्मा ने बताया कि इस वर्ष समिति द्वारा रामलीला महोत्सव 2017 का आयोजन 21 सितम्बर से चार अक्तूबर तक किया जा रहा है, जिसमें प्रतिदिन रामलीला भवन में रात्रि नौ बजे से मंचन प्रारंभ होगा।
25 सितम्बर को रामविवाह की शोभायात्रा निकाली जाएगी, जो शिवाजी धर्मशाला से दोपहर चार बजे निकाली जाएगी। विजयादशमी के अवसर 30 सितम्बर को सायंकाल झंडा साहब बड़ा तालाब पर सेतुबंध की स्थापना की जाएगी। इसके साथ ही साथ लंका दहन व आकर्षक आतिशबाजी का आयोजन किया गया है। दो मंजिली भव्य लंका का निर्माण काशीपुर के गणेश एवं सहयोगियों द्वारा किया जाएगा।
इस रामलीला समिति द्वारा कभी भी रावण दहन का आयोजन नहीं किया जाता। जानकारी देते हुए पदाधिकारियों का कहना था कि तीन अक्टूबर को राजतिलक कार्यक्रम के बाद चार अक्तूबर को विशेष मांग पर रासलीला का आयोजन किया जाएगा। रामलीला तथा रासलीला दोनों का निर्देशन वृंदावन से पहुंच रहे रामलीला निदेशक स्वामी अनिल शर्मा द्वारा किया जाएगा जो अपने 25 कलाकारों के साथ उत्तराखंड पहुंच रहे हैं। प्रेसवार्ता में जो अन्य विभूतियां उपस्थित थीं, उनमें दयाल गुप्ता, हर्ष अग्रवाल समेत कई अन्य प्रमुख लोगों के नाम शामिल हैं, जो इस आयोजन को सफल बनाने में जुटे हुए हैं।