22 सूत्रीय मांगों को लेकर 9 से 11 अक्टूबर तक कार्य बहिष्कार

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आइएएस

वेतन समिति की रिपोर्ट को रद करने और एसीपी की पुराने व्यवस्था लागू करने समेत 22 सूत्रीय मांगों को लेकर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के बैनर तले कर्मचारियों ने प्रदेशभर में धरना-प्रदर्शन किया। चार अक्टूबर को सचिवालय कूच होगा। साथ ही नौ से 11 अक्टूबर तक कार्य बहिष्कार किया जाएगा। सरकार को चेतावनी दी कि अगर यही रवैया रहा तो बेमियादी हड़ताल के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

राजधानी में कर्मचारी विकास भवन परिसर में एकत्र हुए। परिषद के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर प्रह्लाद सिंह ने कहा कि सरकार और शासन का रवैया कर्मचारी विरोधी है। कई बार वार्ता हुई, जिसमें तमाम बिंदुओं पर सहमति भी बनी लेकिन स्थिति जस की तस है। लिहाजा, कर्मचारियों को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। वेतन समिति की कैबिनेट से पास हुई रिपोर्ट कर्मचारी विरोधी है।

सरकार से मांग है कि वेतन समिति को भंग किया जाए, रिपोर्ट रद हो और नए सिरे से वेतन विसंगतियों के निस्तारण की कार्यवाही शुरू की जाए।साथ ही सरकार ने एसीपी की जो नई व्यवस्था लागू की है, उससे काफी कर्मचारियां का हित प्रभावित हो रहा है। नई व्यवस्था में 10, 20 और 30 वर्ष की सेवा पर मिलेगा। जबकि, पूर्व की व्यवस्था में 10, 16 और 26 वर्ष की सेवा पर मिलता था। इसलिए सरकार अविलंब पुरानी व्यवस्था को ही लागू करने का शासनादेश जारी करे।

प्रांतीय प्रवक्ता अरुण पांडे ने कहा कि वेतन समिति ने सभी सिद्धांतों को दरकिनार किया है, इससे राज्य के धन ही नहीं, बल्कि समय की भी बर्बादी हुई है। साथ ही विभागों के एकीकरण से पहले संबंधित कार्मिकों का पक्ष सुना जाए और उन्हें विश्वास में लेकर ही कोई कार्यवाही हो। इस दौरान नंदकिशोर त्रिपाठी, शक्ति प्रसाद भट्ट, आरएस बिष्ट, जगमोहन सिंह नेगी, अंजू बड़ोला, रेनू लांबा, गुड्डी मटूडा, ललिता नेगी, एमपी शाही, सीपी सुयाल, सुनील डोबरियाल, ओमवीर सिंह, पीएल बड़ोनी आदि मौजूद रहे।