तो गूगल ने मनाया उत्तराखंड के इस महान पर्वतारोही का जन्मदिन

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शनिवार को गूगल ने नैन सिंह रावत का 187वां जन्मदिन मनाया। इसके लिये खासतौर पर गूगल ने रावत को समर्पित एक डूडल बनाया। नैन सिंह रावत 19 वीं सदी के पर्वतारोही थे और ब्रिटिश सरकार के लिये हिमालय पर्वतों का मानचित्र बनाने वाले पहले व्यक्ति भी थे। उन्होने सबसे पहले तिब्बत का सर्वे कर तिब्बति राजधानी लाहसा की सटीक लोकेशन और ऊंचाी नापी थी।

गूगल का ये डूडल हरी और दीप्ति पानिकर ने बनाया है, इसमें एक पर्वातारोही (जो कि रावत को दर्शाता है) का प्रतिबिंब दिखाी देता है। इसके साथ ही चित्र में एक ट्राई पोड भी है जोकि रावत के काम को दिखाता है।

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रावत का जन्म 1830 में मिलम जो उत्तराखंड के जोहर घाटी में है हुआ था।रावत ने कम उम्र में तिब्बत जाकर अपने पिता के साथ लोकल भाषा और तौर तरीके सीख लिये जो आने वाले समय में उनके खासा काम आया।

19वीं शताब्दी में युरोपियन खोजकर्ताओं के सेंट्रस एशियन इलाके में कोज करने के सिलसिले शुरु हुए। इसके लिये उन्होने उन स्थानीय लोगों की मदद लेनी शुरू की जो इन दूर दराज के इलाकों की भाषा और तौर तरीकों से वाकिफ थे। रावत इन्ही चुनिंदा लोगों में से एक थे। स्थानीय लोगों के बीच जाने के लिये रावत भेष बदल कर कुमाऊं से लाहसा, काठमांडू जैसी जगहों तक पैदल गये। रावत के बारे में कहा जाता है कि वो एक मील 2000 कदम में पूरी कर लेते थो और मनको की माला से इसे नापते थे।

रावत का पहला दौरा जर्मन दल के साथ 1855-1857 के बीच रहा। उन्हेोने मानसरोवर और राकस ताल तक का सफर तय किया। इसके बाद आगेगारतोक और लद्दाख तक भी गये। इसके बाद रावत ने देहरादून के सर्वे दफ्तर से अपने काम आने वाली सर्वे की तकनीकी जानकारी हासिल की। कहा जाता है कि रावत का सबसे महत्वपूर्ण सफर 1873-1875 के बीच रहा जिसमें वो लेह से लाहसा होते हुए असम पहुंचे।

अपने जीवन काल में रावत को कई पुरसकारों से सम्मानित किया गया।जिनमें रॉयल जियोग्राफिक सोस्याइटी से मिले कई सम्मान शामिल हैं। जून 2004 में रावत की याद में एक पोस्ट स्टैंप भी जारी किया गया। निसंदेह रावत उत्तराखंड ही नही देश की ऐतिहासिक धरोहर का एक अमिट हिस्सा हैं।