उत्तराखंड़ के चार बडे अधिकारियों पर मातृ सदन सीपीसीबी के आदेश के उल्लघन के मामले में मुकदमा कराने जा रहा है। एक्ट के तहत मातृसदन उत्तराखंड के पूर्व खनन सचिव शैलेष बगोली, औद्योगिक सचिव आनंदवर्धन, हरिद्वार के पूर्व उपजिलाधिकारी हरबंस चुघ और वर्तमान जिलाधिकारी दीपक रावत पर मुकदमा करने जा रहा है। मातृ सदन के मुताबिक सीपीसीबी के आदेश गंगा में खनन और पांच किलोमीटर क्रसिंग पर प्रतिबंध का उल्लघन किया गया हैं। यही नहीं मातृ सदन हाईकोर्ट में अवमानना को लेकर भी मुकदमा करने जा रहा है। मातृ सदन ने आगामी 30 अक्टूबर से खनन खोले जाने के विरोध में तपस्या की घोषणा की है।
शनिवार को मातृ सदन के स्वामी शिवानंद ने बताया कि छह दिसंबर 2016 को सीपीसीबी ने गंगा में खनन को प्रतिबंधित किया और क्रेसरों को गंगा से पांच किलामीटर दूर करने का आदेश दिया था। लेकिन शासन, प्रशासन ने अभी तक इस संबंध में किसी तरह का ठोस कदम नहीं उठाया। इसको लेकर मातृ सदन ने जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा करने की तैयारी कर ली है। स्वामी शिवानंद ने बताया कि इसके लिए प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। आगामी कार्यदिवस में जिला कोर्ट में इस मुकदमे को फाइल कर दिया जाएगा। शिवानंद ने बताया कि ईपी एक्ट के तहत इस मामले में दोषी पाए जाने पर पांच से सात साल की सजा और एक लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता हैं।
मातृ सदन के स्वामी शिवानंद ने गंगा में खनन खुलने और स्टोन क्रेसरों के चालू किए जाने के पूर्व अंदेशे के चलते तपस्या का ऐलान कर दिया है। स्वामी शिवानंद ने बताया कि यदि खनन खुला तो वे 30 अक्टूबर से तपस्या करेंगे। उन्होंने बताया कि गंगा में खनन खोलने की तैयारी सरकार कर रही है। यही नहीं इसके विरोध में उन्होने मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा है। उन्होंने इसके पीछे हुए कथित लेनदेन की जांच कराने की मांग की है।