मशरूम की खेती से पलायन रोकेगा राजाजी रिजर्व पार्क

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    हरिद्वार। राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा से सटे टोंगिया परिवारों को रोजगार मुहैया करवाने के लिए पार्क महकमें ने अनूठी मुहिम शुरू की है। इस पहल के तहत इन परिवारों को स्वरोजगार उपलब्ध करवाने के लिए मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उम्मीद है की आने वाले वक्त में ये ग्रामीण स्वंय आत्म निर्भर होंगे। वहीं वनों के संरक्षण में भी इनकी अहम भूमिका होगी।

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    उत्तराखंड में वन क्षेत्रों में आजादी के बाद से वन क्षेत्रों से सटे टोंगिया परिवारों को जंगल में उनके हक हकूक लेने का अधिकार प्राप्त था। मगर वक्त के साथ ही एक ओर जहां परिवारों की संख्या बढ़ी तो वहीं उनके हक हकूकों पर संकट मंडराने लगा। साथ ही जंगलों में प्रवेश पर पाबंदी व नियमों ने उनके सामने रोजगार का संकट भी खड़ा कर दिया। इसको देखते हुए राजाजी पार्क प्रशासन ने अब एक नई पहल की शुरु की है। पार्क महकमें द्वारा रविवार को बेरीवाड़ा रेंज से सटे टोंगिया परिवारों को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण के तहत अब ग्रामीण मशरूम का उत्पादन करेंगे। 

    इस अवसर पर राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक सनातन सोनकर ने बताया कि पार्क सटे टोंगिया परिवारों को मशरूम उत्पादन की जानकारी देकर उन्हें स्वरोजगार की पहल से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग के लिए उत्तराखंड की ब्रांड अम्बेसडर दिव्या रावत द्वारा ग्रामीणों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

    पलायन को रोकने के लिए पहल
    उत्तरखंड में गांव के लोग महज चार से पांच हजार रुपये की नौकरी के लिए पलायन कर लम्बे समय से शहर का रुख कर रहे हैं। दिव्या रावत ने इस पलायन को रोकने के लिए ग्रामीणों को मशरूम की खेती कर रोजगार का साधन बनाया है जिसे वो एक मिशन मानती हैं। इस मिशन को उन्होंने गांव-गांव तक ले जाने की बात कही। अब वे राजाजी पार्क प्रशासन के सहयोग से जल्द ही मशरूम उत्पादन की इकाई लगाने जा रही हैं, जिसका सीधा लाभ पार्क से सटे ग्रामीणों को होगा। इस काम के लिए पार्क प्रशासन की तरफ से उन्हें पूरा सहयोग करेगा।
    राजाजी पार्क की बात करें तो ये टोंगिया परिवार आजादी के बाद से ही पार्क से सटे क्षेत्रो में रहते आये हैं। मगर रोजगार व शिक्षा के अभाव में अधिकतर युवा पार्क में अवैध कटान के मामलो में लिप्त रहे हैंं। अब पार्क प्रशासन की सख्ती के चलते जहां इन क्षेत्रो में अवैध कटान रुका है तो वहीं अब दूसरे महकमों द्वारा रोजगार की पहल किए जाने के बाद इन युवाओं में एक नयी ऊर्जा का संचार हुआ है। उम्मीद है कि आने वाले वक्त में जहां ये युवा रोजगार के माध्यम से स्वावलम्बी होंगे। वहीं वनो के संरक्षण व संवर्धन में अहम् भूमिका निभा सकेंगे।