समाज कल्याण: शहर ऑनलाइन, गांव ऑफलाइन

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विकासनगर। भले ही सरकार से लेकर शासन तक समाज कल्याण विभाग से संचालित तमाम योजनाओं को ऑनलाइन करने के दावे करते हों, लेकिन स्थिति ये है कि सिस्टम ऑनलाइन के दावे सिर्फ शहरों तक सीमित रह गए हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों ये योजनाएं आज भी 30 साल पुराने ऑफलाइन ढर्रे पर संचालित हो रही हैं। इसका परिणाम ये है कि ग्रामीणों को योजना से संबंधित कोई भी जानकारी लेने के लिए जिला समाज कल्याण कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं।

सरकार ने पेंशन, छात्रवृत्ति, पारिवारिक लाभ से लेकर समाज कल्याण विभाग की तमाम योजनाओं को ऑनलाइन कर दिया है। अब लाभार्थियों को ऑनलाइन ही आवेदन करना पड़ता है और योजनाओं से लाभान्वित लोगों को सीधे बैंक खाते के माध्यम से ऑनलाइन ही भुगतान किया जाता है। सरकार की ऑनलाइन व्यवस्था राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में तो काम कर रही है, लेकिन बाकी के 95 विकासखंड़ों में इन योजनाओं के लिए संचालन के लिए एक कंप्यूटर तक नहीं रखा गया। अब स्थिति ये है कि यदि किसी ग्रामीण को योजना से संबंधित कोई जानकारी चाहिए होती है तो यह विकासखंड स्तर पर ऑनलाइन व्यवस्था न होने के कारण नहीं मिल पाती। इस कारण लोगों को फिर जिला मुख्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं। यही नहीं विकासखंड स्तर पर ऑनलाइन व्यवस्था कर दी जाए तो इससे स्थानीय लोग समय-समय पर योजनाओं के लाभ की जानकारी और यदि आवेदन में त्रुटि हो तो उसे समय से अपने क्षेत्र में ही ठीक करा सकते हैं, जबकि अभी उन्हें इस प्रक्रिया काफी समय और पैसा खर्च करना पड़ता है। जीआर नौटियाल उप निदेशक समाज कल्याण का कहना है कि पारदर्शिता के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की गई है। जिन जगहों पर अभी यह व्यवस्था नहीं है, वहां भी जल्द ही ऑनलाइन कर दिया जाएगा, जिससे लोगों को मदद मिलेगी।