सौरः घोस्ट विलेज फेस्टिवल में रही पारंपरिक चीजों की धूम

    0
    765
    विभोर यादव

    अपनी तरह का पहला सौर फेस्टिवल तीन रात और दो दिन का इवेंट था, जिसमे लगभग 120 ऑडियंस ने भाग लिया जो देश-विदेश से सौर आए। कुछ लोग श्रीलंका और मलेशिया से भी भाग लेने आये, इस फेस्टिवल में भाग लेने वालों में उद्यमि, रिसर्चर, कालेज के छात्र, चेंज-मेकर, आर्टिस्ट, फिल्म-मेकर, इन्फ्लूऐंसर और लेखकों ने शिरकत की। इस फेस्टिवल में सौर गांव के आसपास रहने वालों को रोजगार भी मिला जिसमें अलग-अलग डिर्पाटमेंट जैसे कि कुकिंग, लॉजिस्टिक, सुरक्षा विभाग, कल्चरल कोआर्डिनेशन,परर्फामेंस और वर्कशॉप फेलिसिटेशन में लोगों ने काम किया।

    saur

    दो दिन के इस कार्यक्रम में ट्रेकिंग, पेटिंग, कल्चरल नाईट, फूड स्टॉलस, पाईन नीडल क्रॉफ्ट पर वर्कशॉप, ग्रीन सॉल्ट मेंकिंग, गढ़वाली गानों पर डांस की प्रस्तुति के अलावा विलेज-वॉक भी कराया गया। इस कार्यक्रम की खास बात थी कि हर एक भाग को गांव के ही लोगों ने लीड किया, कल्चरल नाईट में होने वाला लोक नृत्य रवि गुसाई के ग्रुप ‘श्री देव संस्कृति कला मंच’ ने पेश किया, इसके अलावा मशहूर बैंड भैरवा और सूरज गोदियाल और गौरव सैली की प्रस्तुति ने लोगों का मन मोह लिया। आपको बतादें कि सौर फेस्टिवल में ढ़ोल और दमाउं की प्रस्तुति गांव के ही क्षेत्रीय लोगों ने दी।

    कार्यक्रम में भाग लेने वाले हर प्रतिभागी को हाथ से बनाए हुए जूट-बैग और यूएचएचडीसी के माध्यम से लोकल लोगों द्वारा बनाई गई गढ़वाली टोपी भेंट दी गई। इसके अलावा क्षेत्रीय लोगों द्वारा बनाए गए हरे नमक का पैकेट, पारंपरिक मिठाई रोटाना, फ्यूल प्रोजेक्ट का ब्रोशर, भूली द्वारा बनाए गए पोस्टकार्ड, गांव के लोगों का जीवन परिचय और हंस-फाउंडेशन द्वारा गांववालों के लिए किए गए कामों का वर्क रिर्पोट तैयार भी दिया गया।

    दीपक रमोला से टीम न्यूजपोस्ट से बातचीत में बताया कि, “इस कार्यक्रम के दौरान पहाड़ों में कैंपिंग भी की, इसके अलावा हिमाद्री को दो स्टाल और सौर गांव की महिलाओं द्वारा हाथ से बनाए गए स्वेटर,स्मृति चिन्ह, शॉल की प्रदर्शनी भी लगाई गई।”

    इस कार्यक्रम के अंत में लोगों ने कार्यक्रम की सराहना की और आगे आने वाले ऐसे सभी वर्कशॉप के लिए बधाईयां भी दी।