देहरादून। गौहरीमाफी ग्राम पंचायत में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के कार्यों में अनियमितता पकड़ी है। नियमों को दरकिनार भी किया गया और इस बात का भी संशय है कि काम हुए भी या नहीं। जांच कमेटी ने तत्कालीन ग्राम प्रधान के साथ ग्राम विकास अधिकारी और खंड विकास अधिकारी के साथ ही उप कार्यक्रम अधिकारी, अवर अभियंता के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की संस्तुति की है।
अक्टूबर 2017 में ग्रामीणों ने शिकायत की थी कि गीता कुटीर से प्राथमिक विद्यालय गौहरी प्लॉट तक तार जाल लगाने और सौंग नदी पर बाढ़ सुरक्षा कार्य के लिए 23 लाख रुपये खर्च करना दर्शाया गया है, जबकि तारजाल लगाने का कार्य हुआ ही नहीं। जिला विकास अधिकारी पीके पांडेय ने इसकी जांच सहायक परियोजना निदेशक विक्रम सिंह, खंड विकास अधिकारी देहरादून सुधा तोमर, सहायक अभियंता ग्रामीण निर्माण विभाग तारिक ज्याद को सौंपी। इसमें पाया गया कि वर्ष 2009-10 में इन कार्यों को एक ही कार्य के रूप में प्रस्तावित किया गया। लेकिन, इन्हें पांच अलग-अलग टुकड़ों में तोड़कर किया गया, जो मनरेगा के नियमों के विरुद्ध है। गीता कुटीर से प्राथमिक विद्यालय गौहरी प्लॉट और सौंग नदी में दूरी करीब डेढ़ किलोमीटर है। ऐसा कोई विभागीय आदेश भी नहीं मिला, जिसमें आदेश दिया गया हो कि ये कार्य सौंग नदी पर ही करा दिए जाएं। जांच टीम ने रिपोर्ट में कहा कि ऐसा लगता है कि ये कार्य दोनों स्थलों को एक साथ जोड़कर जानबूझकर प्रस्तावित किए गए। कमेटी ने ये भी आशंका जताई है कि नदी में बरसात के वक्त तेज बहाव और बाढ़ की स्थिति बनती है, जिसकी आड़ में इन कार्यों को करना दिखाया जाए और बाद में ये कहा जाए कि निर्माण बाढ़ में बह गया। मौके पर बाढ़ सुरक्षा कार्यों की क्षतिग्रस्त स्थिति ही देखने को मिली। लेकिन, तत्कालीन प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी ने बाढ़ से नुकसान की कोई सूचना आपदा नियंत्रण कक्ष को दी गई और न ही इस संबंध में कोई अभिलेख प्राप्त हुआ। इससे यह आशंका और बलवती होती है। जिला विकास अधिकारी पीके पांडेय ने बताया कि जांच रिपोर्ट का अध्ययन कर दोषियों को नोटिस जारी किए जाएंगे और उनका स्पष्टीकरण आने के बाद आगे की कार्यवाही होगी।