बिल्डरों को पेनाल्टी में राहत देने की तैयारी में छूट रहे पसीने

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    देहरादून। तय समय के बाद पंजीकरण को आवेदन करने वाले बिल्डरों को रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) में पेनल्टी में छूट देने के फॉमूर्ले की खोज में आवास विभाग के अफसरों की चकरघिन्नी बनी है। इस संबंधी में अन्य राज्यों की ओर से अपनाई गई व्यवस्था/फॉर्मूले के बाद भी तस्वीर साफ नहीं हो पा रही। दरअसल, रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट-2016 एक केंद्रीय कानून होने के नाते राज्य के अधिकारी किसी भी तरह की चूक करने को तैयार नहीं हैं। यही वजह है कि इस कैबिनेट की बैठक में पेनल्टी में राहत देने के मसले को रखा नहीं जा सका।

    दरअसल, रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट में स्पष्ट किया गया है कि जिन बिल्डरों ने निर्माणाधीन परियोजनाओं में एक मई 2017 से पहले कंप्लीशन सर्टिफिकेट (कार्यपूर्ति प्रमाण पत्र) नहीं लिया, वे सभी 31 जुलाई तक रेरा में पंजीकरण के लिए आवेदन कर लेंगे। ऐसा न करने की सूरत में कुल परियोजना लागत के 10 फीसद तक जुर्माना वसूल करने की व्यवस्था एक्ट के सेक्शन 59-1 में की गई है। तय समय के भीतर 168 बिल्डर पंजीकरण को आवेदन कर चुके थे। जबकि इसके बाद भी पंजीकरण को आवेदन जारी रहे, जो संख्या अब तक 252 पहुंच चुकी है। पेनल्टी अवधि में बिल्डरों के बढ़ते आवेदन को देखते हुए राज्य सरकार ने व्यवस्था की थी कि एक एक अगस्त से 31 अक्तूबर तक अलग-अलग फेज में आवेदन करने वाले बिल्डरों पर एक, दो, पांच फीसद की पेनल्टी लगाई जाएगी। जबकि इसके बाद 10 फीसद जुर्माने का प्रावधान किया गया। हालांकि उत्तराखंड रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशंस ने रियल एस्टेट सेक्टर के मंदी के दौर से गुजरने का हवाला देते हुए गुहार लगाई कि पेनल्टी को माफ किया जाए और अन्य राज्यों की तरह वहन करने योग्य पेनल्टी लगाई जाए। राज्य सरकार भी इस बात से सहमत हो गई और अन्य राज्यों की व्यवस्था का अध्ययन किया गया। इसको लेकर रेरा सेल प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज चुकी है। इसमें 60 फीसद तक की जा चुकी रजिस्ट्री (बिक आदि बिंदु राहत के लिए शामिल किए गए। हालांकि शासन के अधिकारियों ने एक्ट व अन्य राज्य की व्यवस्था के अध्ययन में पाया कि इसमें 10 फीसद तक पेनल्टी की बात कही गई है, जबकि अन्य राज्यों ने जुर्माने की निर्धारित राशि तय की है। लिहाजा, बिना उचित जांच-पड़ताल के अन्य राज्य की व्यवस्था को लागू करने से केंद्रीय कानून की खिलाफत हो सकती है। वहीं, अधिकारियों ने केंद्रीय राज्य आवास मंत्री हरदीप सिंह पुरी की उस बात का भी संज्ञान लिया, जिसमें वह कह चुके हैं कि कुछ राज्य रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट के खिलाफ काम कर रहे हैं। दूसरी तरफ तेलंगाना व कर्नाटक में ऐसी ही व्यवस्था के खिलाफ कुछ लोग कोर्ट भी जा चुके हैं। यही वजह है कि आवास विभाग के अधिकारी राहत के फार्मूले पर नए सिरे से मंथन में जुट गए हैं।
    रेरा प्राधिकारी व सचिव आवास अमित नेगी ने बताया कि इस समय रियल एस्टेट सेक्टर मंदी के दौर से गुजर रहा है, लिहाजा बिल्डरों को राहत देने को हरसंभव विकल्प पर विचार किया जा रहा है। हालांकि निर्णय कानून के दायरे हो, इसलिए समय लग रहा है। यदि बिल्डरों को राहत नहीं देते हैं तो उससे परियोजना की लागत बढ़ेगी और निवेशकों पर ही उसका बोझ पड़ेगा।
    राज्य में बिल्डरों पर पेनल्टी की स्थिति
    168, शून्य
    64, एक फीसद
    10, दो फीसद
    08, पांच फीसद
    02, 10 फीसद
    अन्य राज्यों में यह व्यवस्था
    उत्तर प्रदेश, एक अगस्त से 15 अगस्त तक पंजीकरण कराने में किसी तरह की पेनल्टी नहीं। इसके बाद 31 अक्तूबर तक के लिए 1000 रुपये की पेनल्टी पर पंजीकरण का प्रावधान। गुजरात, 30 सितंबर तक कोई पेनल्टी नहीं। इसके बाद 31 अक्तूबर तक रजिस्ट्रेशन के बराबर पेनल्टी। गोवा, पहले 31 अक्तूबर तक किसी तरह की पेनल्टी नहीं थी, जिसे बढ़ाकर अब 31 दिसंबर किया गया है। महाराष्ट्र, अगस्त माह तक एक लाख रुपये या रजिस्ट्रेशन की राशि जो भी अधिक हो। इसके बाद 30 सितंबर तक दो लाख रुपये का जुमार्ना या रजिस्ट्रेशन की दोगुनी राशि जो भी अधिक हो।