(गोपेश्वर) बद्रीनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। इस अवधि में बद्रीनाथ में बिना अनुमति के पुलिस और सेना के अलावा जिन्हें रहना होता है, उन्हें प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है। इस बार आठ साधुओं सहित 15 लोगों को अभी तक बद्रीनाथ में रहने की अनुमति मिली है।
शीतकाल में बद्रीनाथ मंदिर में सुरक्षा और अन्य आश्रमों, भवनों के कुछ लोग प्रशासन की अनुमति से ही रह पाते हैं। जो तपस्वी साधु भी बद्रीनाथ में इस अवधि में तप करना चाहते हैं, उन्हें भी इसके लिए प्रशासन से अनुमति लेनी होती है। इसके लिए बद्रीनाथ में अभी तक 8 साधुओं साहित 15 लोगों ने यहां पर रहने की अनुमति प्रशासन से मांगी है। हालांकि अभी यह संख्या और भी बढ़ सकती है। मंदिर की सुरक्षा के लिए बीकेटीसी के निश्चित कर्मी भी बद्रीनाथ में रहेंगे। बद्रीनाथ के थानाध्यक्ष दीपक रावत ने बताया कि बद्रीनाथ में 8 साधुओं सहित 15 लोगों को अभी तक बद्रीनाथ धाम में रहने की अनुमति मिली है। उन्होंने कहा कि यह संख्या बढ़ भी सकती है।
योगध्यान बदरी में विराजे उद्धव व कुबेरजी
बद्रीनाथ के कपाट बंद होने के बाद सोमवार को उद्धवजी व कुबेरजी का उत्सव विग्रह योगध्यान बदरी पांडूकेश्वर में विराजमान हो गये हैं। जहां शीतकाल में इनकी पूजा-अर्चना की जाएगी। वहीं आदिगुरु शंकाराचार्य की गद्दी को नृसिंह मंदिर जोशीमठ लाया गया है।
बद्रीनाथ के कपाट बंद होने के बाद बदरीश पंचायत से कुबेर जी व उद्धव जी के उत्सव विग्रह को योगध्यान बदरी पांडूकेश्वर लाया जाता है। रविवार को बदरीनाथ के कपाट संधसमय बंद होने के कारण कुबेर व उद्धव के उत्सव विग्रह को सोमवार को पांडुकेश्वर लाया गया जहां पूजा अर्चना के बाद उन्हें विराजमान किया गया। जहां पर शीतकाल में दोनों देवों की पूजा अर्चना की जाएगी। वहीं आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी को भी जोशीमठ नृसिंह मंदिर में स्थापित कर दिया गया है। जहां पर इसकी शीतकाल में पूजा-अर्चना की जाएगी।
भविष्य बद्री मंदिर के कपाट भी हुए बंद
पंच बद्री में से एक भविष्य बद्री (सुभाई) मंदिर के कपाट भी बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के समय पर रविवार सांय 7 बजकर 28 मिीतकाल के लिए बंद हो गए हैं।
भविष्य बद्री मंदिर के मुख्य पुजारी सुशील चंद डिमरी ने बताया कि बद्रीनाथ मंदिर की तरह भविष्य बद्री मंदिर के कपाट भी नित्य पूजा, अभिषेक और भोग के बाद शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। अब अगले वर्ष भगवान के कपाट बद्रीनाथ के कपाट खुलने के समय ही खुलेंगे। मान्यता है कि भविष्य में जोशीमठ-बद्रीनाथ मार्ग पर जब जय-विजय पहाड़ मिल जाएंगे, तभी भगवान बद्री विशाल के दर्शन भविष्य बद्री में होंगे। मूल रूप से भविष्य बद्री के रूप में एक जगह पत्थर पर भगवान बद्री विशाल का अदभुत विग्रह स्वयं अंकित हो रहा है। भगवान के चेहरे के दर्शन पूर्ण रूप से प्रकट होने लगा है। यह स्थान जोशीमठ मलारी मोटर मार्ग पर तपोवन से सलधार होते हुए सुभाई गांव में भविष्य बद्री मंदिर स्थापित है। यहां पर भगवान श्री हरी के साथ-साथ शालिग्राम रूप में बद्रीश पंचायत भी अंकित हो रही है।