पिथौरागढ़- राज्य गठन के बाद से ही प्रदेश की सभी सरकारों ने समाज के अंतिम व्यक्ति तक के उत्थान के लिए तमाम दावे करती रहती हैं। लेकिन यह दावे सिर्फ कागजी ही साबित हो रहा है। पिथौरागढ़ जिले में रामसिंह की मौत ने सरकार के इन दावों की सच्चाई को एक बार फिर उजागर कर दिया है। राम सिंह को कई बार आवास बनाने का भरोसा मिला, लेकिन यह भरोसा पूरा नहीं हुआ। यह परिवार किस हाल में जी रहा होगा और इसका अंदाज इसी से लगाया जा कि राम सिंह के अंतिम संस्कार तक के लिए परिवार के पास पैसे नहीं थे।
धारचूला तहसील के बलुवाकोट क्षेत्र के तल्ला गांव निवासी राम सिंह ग्वाइला 65 वर्ष की उम्र में मौत हो गई। राम सिंह के परिवार में पत्नी और दो नाबालिग बच्चे हैं। पूंजी के नाम पर राम सिंह के पास एक कमरे का मकान है, जिसकी दीवार दो वर्ष पूर्व टूट गई थी। अंत्योदय की श्रेणी में आने वाले इस परिवार को पिछले कई वर्षो से जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने सरकारी योजना के तहत आवास देने आश्वासन दिया। आवास तो मिला नहीं मकान की टूटी दीवार की मरम्मत तक के लिए सरकार से पैसा नहीं मिल पाया। इस कारण पूरा परिवार प्लास्टिक की पन्नियों से टूटी हुई दीवार को ढंककर शीतकाल का सामना कर रहा है।
एक सप्ताह पहले राम सिंह ठंड का शिकार हो गया और सोमवार को उसकी मौत हो गई। राम सिंह और उनकी पत्नी मुर्सी देवी मजदूरी करती है। कोई जमा पूंजी नहीं होने के कारण मंगलवार को गांव के चंचल सिंह ऐरी, त्रिलोक सिंह, तारा सिंह भंडारी, कल्याण सिंह, दिलीप सामंत आदि ने चंदा एकत्रित कर राम सिंह का अंतिम संस्कार किया।
मजदूर की मौत के बाद भी इस परिवार की सुध लिए जाने की कोई उम्मीद नहीं के बराबर है। प्रशासन भी अपनी उदासीनता को छुपाने के लिए अक्सर ऐसे मामलों से बचने की ही कोशिश ज्यादा करता रहा है। सरकार की आवास योजनाओं का हाल किसी से छुपा नहीं है। राम सिंह जैसे कई लोग आज भी एक अदद आवास के लिए एड़ियां रगड़ रहे हैं।