सुगम और मंगलमय सफर की कामना को लेकर सड़कों पर उत्तराखंड की त्रिवेन्द्र रावत सरकार सूबाई सियासत की कमान संभालने के बाद करोड़ों रुपये खर्च कर चुकी है लेकिन उसके बावजूद भी आए-दिन बदहाल सड़के किसी न किसी को निवाला बना रही हैं।
उल्लेखनीय है कि समूचा उत्तराखंड सड़क हादसों से जूझ रहा है। हादसों की रोकथाम के लिए पीडब्ल्यूडी, पुलिस, आरटीओ समेत समस्त जिम्मेदार विभागों के पास नियम कानून को लेकर निर्देश जारी होते रहते हैं लेकिन जमीन पर इसका असर नहीं दिखता है। सिर्फ निश्चित समय व दिन तक ही कुछ गतिविधि रहती है और फिर पुराने ढर्रे में जिंदगी फर्राटा भरने लगती है।
एआरटीओ अनिता चमोला का कहना है कि पुलिस विभाग और आरटीओ की ओर से संयुक्त चिन्हित दुर्घटना प्वाइंट ऐसे हैं, जहां निरंतर दुघर्टना होती है। जिसके सम्बंध में शासन को भी अवगत करवाया जा चुका है। वहीं कुछ सड़के ऐसी हैं जहां सालों से नवीनीकरण या पैचवर्क तक की जहमत नहीं उठाई गई।
पीडब्लूडी की लाचार कार्य प्रणाली पर भी लगातार सवाल उठते रहे हैं। बावजूद इसके व्यवस्था में कोई भी सुधार होता हुआ नजर नही आ रहा है। तीर्थ नगरी के मुख्य मार्गों की बात करें तो अक्सर देखने को मिलता है कि गड्ढायुक्त सड़कों पर विभाग का ध्यान नहीं जाता।
ऋषिकेश-बद्रीनाथ मार्ग मानसूनी मौसम के बाद से अनेकों स्थानों पर बुरी तरह से छतिग्रस्त हो रखा है। इस राष्ट्रीय राजमार्ग की बदतर सड़क पर अनेकों सड़क दुघर्टनाओं के बावजूद पैचवर्क तक लोनिवि करवाने को तैयार नही है। जबकि इस सन्दर्भ में विभिन्न संगठनों के माध्यम से लगातार आवाज उठाई जाती रही है।
उधर, मानकों की बात करें तो ज्यादातर सड़कों में हादसों की रोकथाम की कोई विशेष व्यवस्था नहीं है। सिर्फ बोर्ड लगाकर जिम्मेदारी से इतिश्री कर लिया गया है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि इन खस्ताहाल सड़कों पर सड़क हादसे कब रुकेंगें।