(हरिद्वार) अन्तर्राष्ट्रीय उपभोक्ता कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष रामनरेश यादव ने कहा कि सरकारी विभागों में आपसी तालमेल और सहयोग की भावना न होने के कारण सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे हो रहे हैं। इनमें भेल, नगर निगम व रेलवे की अनेकों ऐसी जमीनें हैं, जिन पर अवैध कब्जों को हटाने की कार्यवाई तो अनेकों बार हुई, लेकिन अतिक्रमण रोकने व हटाने में जिला प्रशासन की भूमिका अहम होने के कारण अकेले भेल की ही सैकड़ों एकड़ भूमि अतिक्रमित हो चुकी है। आए दिन विभागीय भूमि के संरक्षण को मात्र पत्राचार तक ही सीमित कर दिया जाता है, जिससे असमंजस की स्थिति उत्पन्न होती है।
भेल की भूमि से अवैध कब्जे हटाने तथा पैमाइश करने संबंधी भेल के नगर प्रशासक द्वारा गत एक नवम्बर को जिला प्रशासन को पत्र लिखकर भभूतावाला बाग, भगत सिंह चौक, टिबड़ी रेलवे फाटक और शिवलोक के मध्य स्थित सरकारी भूमि की पैमाइश कराने की मांग की गई थी। हरिद्वार का यह पहला क्षेत्र है, जहां नगर निगम, भेल तथा रेलवे के साथ ही निजी सम्पत्तियां भी हैं जिनकी पैमाइश तहसील प्रशासन के सहयोग के बिना असम्भव है। इस क्षेत्र में सर्वाधिक भूमि भेल की है जिसकी लगभग 70 से भी अधिक खसरा नम्बरों की सूची जिला प्रशासन को देकर पैमाइश एवं सीमांकन की मांग की गई है लेकिन नतीजा शून्य होने के कारण अवैध कब्जेदारों के हौंसले और बुलन्द हो रहे हैं। इसी आशय को दो अलग-अलग पत्र भेल टाउनशिप में सम्पदा विभाग के वरिष्ठ अभियन्ता द्वारा उत्तर रेलवे के सेक्शन इंजीनियर तथा नगर निगम के मुख्य नगर अधिकारी को भी सौंपे जा चुके हैं जिन पर कोई कार्यवाही न होना अतिक्रमणकारियों के हौंसले बढ़ा रहा है। रामनरेश यादव ने जिला प्रशासन से मांग की है कि सम्बन्धित विभागों की भूमि का तत्काल सीमांकन तथा पैमाइश करायी जाये ताकि इन क्षेत्रों में जो निजी भूमि स्वामी हैं उनको राहत मिले तथा भेल, रेलवे एवं नगर निगम अपनी-अपनी भूमि के स्वामी बन सकें।