बिना पद और पगार के काम कर रहे चिकित्सक

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Ayurveda

देहरादून। आयुर्वेद विश्वविद्यालय में अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि यहां न तो शिक्षक हैं और न ही सुविधाएं। इन सबसे बढ़कर जिन चिकित्सकों को संबद्ध कर फैकल्टी के रूप में उपयोग किया जा रहा है। उनकी संबद्धता भी प्रभारी सचिव आशुष शिक्षा ने समाप्त कर दी, लेकिन इसके बाद भी विवि उन्हें कार्यमुक्त नहीं कर रहा। हालात यह है कि बीते एक माह से संबद्ध चिकित्सकों को वेतन तक नहीं मिल पाया है।

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्विद्यालय के तीनों परिसर के हर विभाग में नियमानुसार एक प्रोफेसर दो एसोसिएट प्रोफेसर और तीन असिस्टेंट प्रोफेसर होने चाहिए। मुख्य परिसर हर्रावाला में केवल एक नियमित प्रोफेसर है बाकी दो अन्य परिसरों से संबद्ध संवद्ध हैं। मुख्य परिसर में बीएएमएस के 120 छात्र छात्राएं पढ़ रहे हैं। इनके प्रवेश हेतु सीसीआईएम को भेजे फेकल्टी डाटा में जो जानकारी मुहैया कराई गई है वो असिस्टेंट व एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में संबद्ध चिकित्साधिकारी हैं, जिनकी सम्बद्धता बीते माह ही प्रभारी सचिव आयुष शिक्षा हरवंश चुघ के आदेश से संमाप्त हो गई है। लेकिन, विवि के पूर्व कुलपति ने इन्हें कार्यमुक्त होने से रोक लिया है, जिसके बाद चिकित्सकों को न तो मूल तैनाती मिली और न ही विवि में कार्य का वेतन। संबद्धता समाप्त होने के कारण बीते माह से वेतन भी अटक गया है। जबकि, सीसीआईएम को कागजों में फैकल्टी की पगार दिखाई जा रही है।
कुछ ऐसा ही हाल विवि के दोनों परिसर गुरुकुल एवं ऋषिकुल हरिद्वार का भी है। गौर करने वाली बात है कि गुरुकुल परिसर में इन्ही संबद्ध चिकित्सकों के सहारे एमडी पाठ्यक्रमों की मान्यता ली गई है और कई के निर्देशन में शोध प्रबंध लिखे जा रहे है। सत्र मध्य में इन चिकित्सकों को हटाने से छात्रों के भविष्य पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। हालात यह हैं कि छात्र तो छात्र रोगियों के लिए परेशानी खड़ हो गई है। शासन के इस कदम के बाद छात्रों की सारी कक्षाएं बाधित हो गई है, वहीं अस्पताल परामर्शदाता चिकित्सक विहीन हो गए हैं।
मुख्य परिसर हर्रावाला में बीए एमएस की 60 सीटों के सापेक्ष दो बैच चल रहे हैं, जिनको पढ़ाने के लिए नियमानुसार 17 नियमित शिक्षक व अस्पताल में सात कंसल्टेंट होने चाहिए इसी प्रकार गुरुकुल परिसर में 60 बीएएमएस और 22 एमडी की सीटों में भी कुल 32 शिक्षकों की आवश्यकता है, जो अभी स्नातकोत्तर उपाधिधारक टीचिंग कोड धारित संबद्ध चिकित्साधिकारीयों से पूरी की जा रही है, लेकिन यदि अभी सीसीआईएम का अकस्मात निरीक्षण हो जाए, तो इन तीनों कालेजों की मान्यता चली जाएगी।
विवि के कुलसचिव प्रो. अनूप कुमार गक्खड़ ने बताया कि शासन ने चिकित्साधिकारियों की समबद्धता समाप्त कर दी थी, लेकिन पूर्व कुलपति ने फैकल्टी की कमी का हवाला देते हुए इन्हें बहाल रखने का अनुरोध किया था। वेतन संबंधी प्रकरण संज्ञान में है। इस बाबत शासन को दोबारा पत्र भेजा जा रहा है।