नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने अनाथालयों में रह रहे बच्चों की स्थिति पर दायर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी राज्यों को नोटिस जारी किया है। याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएम खानविलकर की बेंच ने याचिका का दायरा बढ़ाते हुए सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब देने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश का भविष्य बच्चों की अस्मिता और उनके पालन-पोषण पर निर्भर करता है। किसी बच्चे को अनाथालय के प्रभारी की इच्छा पर नहीं छोड़ा जा सकता है।
आयोग ने अपनी याचिका पश्चिम बंगाल के अनाथालयों में रह रहे बच्चों के एडॉप्शन के लिए कमेटियों के गठन को कानून का उल्लंघन बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। बाल संरक्षण आयोग ने जब इस बारे में पश्चिम बंगाल सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी किया तो पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट का रुख किया जिसके बाद हाईकोर्ट ने आयोग की कार्यवाही पर रोक लगा दी। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ बाल संरक्षण आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों से अनाथालयों में बच्चों को दी जा रही सुविधाओं और बच्चों के एडॉप्शन के लिए अपनाई जानेवाली प्रक्रिया के बारे में पूछा है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों के पूछा है कि मानवाधिकार एक्ट के तहत हर जिलों में मानवाधिकार कोर्ट की स्थापना अभी तक क्यों नहीं हुई।