आने वाले दिनों में देशभर में बाघों की गिनती के लिये वही तकनीक का इस्तेमाल किया जायेगा जो कोर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) में पहले लागू की जा चुकी है।
दरअसल बाघों की गिनती के लिये तय मानको में कैमरों की एक जोड़ी लगाने के लिये 4 वर्ग किलोमीटर की ग्रिड बनाई जाती है। वहीं सीटीआर के अधिकारियों ने कैमरे के जाल के लिए 2 वर्ग किलोमीटर की ग्रिड बनाई। अधिकारियों के मुताबिक छोटे ग्रिड होने के कारण, बाघ की संख्या की बेहतर सटीकता से गणना हो सकती है और उनकी निगरानी में भी आसानी होती है।
इस महीने के पहले कॉर्बेट में एक बैठक के दौरान रिजर्व निदेशक को नए कैमरा जाल विधि के बारे में जानकारी दी गई थी, मेहरा ने कहा कि,”यह मॉडल कैमरा ट्रैप है, कैमरा ट्रैप में जो फोटो आती है उस फोटो का विश्लेषण किया जाता है जिसमें टाईगर पर बने धारियों पर बारिकी से शोध किया जाता हैं क्योंकि हर एक टाईगर की धारियां दूसरे से अलग होती है।पहले हम यह कैमरा ट्रैप हर 4स्क्वायर किलोमीटर की दूरी पर लगाते थे, लेकिन यह दूरी ज्यादा थी, साल 2016-17 में जब हमने इसकी इंटरनल मॉनिटरिंग करने के बाद हर 2स्क्वायर किलोमीटर पर कैमरा लगाए जिसकी वजह से हमें 208 अलग-अलग टाईगर देखने को मिले। इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि टाईगर की संख्या बढ़ी बल्कि इसका मतलब है कि हमारा सिस्टम पहले से बेहतर और सटीक हो गया है।”
2018 में शुरु होने वाले ऑल इंडिया टाईगर एस्टिमेशन में भी यही तरकीब इस्तेमाल की जाएगी।भारत के पास लगभग 6 हजार स्क्वायर किलोमीटर का टाईगर रिर्जव है जिसमें से 1288 स्क्वायर किलोमीटर अकेले कॉर्बेट पार्क के पास है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा एरिया में टाईगर होने का सूचक है।
बाघ गिनती करने वाले अधिकारियों के अनुसार, कैमरे के जाल से मिली तस्वीरों को “आबादी का आकार अनुमानक” सॉफ्टवेयर में डाला जाता है, जो इलाके के क्षेत्र की स्थितियों के आधार पर आबादी के आकार के अलग-अलग अनुमान प्रदान करता है। देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) के बाघ विशेषज्ञ भुवस पांडव ने कहा कि, “छोटे ग्रिड में कैमरे के जाल की स्थापना केवल तब ही उपयोगी है जब पार्क या रिजर्व में घने बाघ की आबादी होती है। 2 वर्ग किमी ग्रिड में कैमरे का जाल कॉर्बेट जैसी जगह में एक सख्त तस्वीर देगा, लेकिन जरूरी नहीं कि झारखंड जैसे क्षेत्र में ये तरीका पूरी तरह कामयाब हो।”
भारत 2,200 बाघों का घर है, ये दुनिया में बाघों की जनसंख्या का लगभग 70 प्रतिशत है। 2014 में ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन (जनगणना) के अनुसार, कॉर्बेट में सबसे ज्यादा 215 में बाघ पाये गये। इसके बाद कर्नाटक में बांदीपुर (120 बाघ) और असम में काजीरंगा टाइगर रिजर्व (103) का स्थान था।
2014 में हुए अखिल भारतीय टाइगर अनुमान ने 18 राज्यों में 473,580 वर्ग किमी के जंगलों को कवर किया था जिसमें 44 बाघों के भंडार शामिल थे। चालू जनगणना में 50 बाघों के भंडार को कवर किया जाएगा और उम्मीद है कि प्रारंभिक नतीजे इस साल मई तक उपलब्ध हो जाएंगे।