गैरसैण सत्र को शासन-प्रशासन तैयार, आंदोलनकारियों ने भी कमर कसी

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गोपेश्वर। होली तो निपट गई पर अब उत्तराखंड सियासत का ध्यान गैरसैण बजट सत्र की तैयारियों पर टिक गया है। 20 मार्च से शुरू होने वाले बजट सत्र के लिए जहां प्रशासन तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगा है, वहीं आंदोलनकारियों ने भी कमर कस ली। गैरसैण में माननीयों के कक्ष समेत सदन को सजाया जा रहा है। आने वाले मेहमानों, सरकारी अमले की चाक चौबंद व्यवस्था के लिए कार्य किया जा रहा है। वहीं, अबकी बार गैरसैण को राजधानी बनाने के मुद्दे को लेकर आंदोलनकारियों के तेवर काफी तल्ख दिख रहे है। जिसमें सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी मुखर कर सामने आ रही है।

गैरसैण को राजधानी बनाने की मांग को लेकर आंदोलनकारियों के उत्साह का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि होली के दिन भी आंदोलनकारी अपनी मांग के लिए धरने पर जमे रहे। उत्तराखंड राज्य आंदोलन की वरिष्ठ कार्यकत्री धूमा देवी राजधानी आंदोलन की संरक्षक बनकर आंदोलनकारियों की ताकत बनी हुई है। बिंदी देवी, प्रवीण सिंह, त्रिलोक सिंह, महेश पांडे को जहां पुलिस ने अनशन स्थल से उठाकर जबरन अस्पताल में पिछले दिन भर्ती करने के बाद कमला पंवार, सुरेंद्र, मंगला, उमा, राधा, लक्ष्मी समेत दो दर्जन से अधिक महिलाओं ने आंदोलन की कमान संभाल ली है। इधर रूद्रप्रयाग में युवा पीढ़ी गैरसैण कूच के लिए तैयार बैठी है। पिंडर घाटी में भी गैरसैण राजधानी बनाओ की मांग को लेकर गांव-गांव में वही माहौल दिख रहा है जो कभी उत्तराखंड राज्य बनाओ की मांग को लेकर दिख रहा था। उधर श्रीनगर में भी शनिवार से गैरसैण को राजधानी बनाने की मांग को लेकर आमरण अनशन शुरू हो गया है।
मुख्यालय गोपेश्वर की चुप्पी आंदोलनकारियों को हैरान करती है
उत्तराखंड राज्य आंदोलन में चमोली जिले के मुख्यालय गोपेश्वर से सबसे बड़ी चिन्गारी खडी हुई थी मगर गैरसैण राजधानी बनाने की मौजूदा राजनैतिक गतिविधि में मुख्यालय गोपेश्वर में बहुत कुछ सक्रियता नहीं दिखती। पूर्व ब्लाॅक प्रमुख नंदन सिंह बिष्ट के नेतृत्व में एक दिन का सांकेतिक धरना प्रदर्शन राजधानी बनाने की मांग को लेकर हुआ था। उकसे बाद कोई सक्रियता इस मुद्दे पर गोपेश्वर में नहीं है।