गंगा में खनन पर एनजीटी की रोक का किया स्वागत

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ऋषिकेश। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) द्वारा गंगा व उसकी सहायक नदियों में हरिद्वार में उपखनिजों के चुगान और उनकी निकासी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का पर्यावरणविद और सामाजिक आन्दोलनकारी विनोद जुगलान ने स्वागत किया।

विदित हो कि सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. विजय वर्मा की ओर से हरिद्वार में गंगा और उसकी सहायक नदियों में उप खनिजों के खनन पर रोक लगाने के लिए एनजीटी में वाद दायर किया था, जिसका संज्ञान लेते हुए अधिकरण ने वन विकास निगम द्वारा जारी किए गए सात पट्टों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का आदेश जारी किया है। इस सन्दर्भ में पर्यावरणविद जुगलान का कहना है कि एक ओर सरकार अविरल गंगा की बात करती है और दूसरी ओर बड़ी मात्रा में गंगा में खनन जारी है। राज्य को बने हुए 18 वर्ष हो गए हैं किन्तु अभी तक हम राज्य के विकास को स्पष्ट नीतियां नहीं बना पाए हैं। राज्य यूपी से अलग तो हो गया है, लेकिन आज भी नीतियां यूपी के पुराने ढर्रे पर ही चल रही हैं, जबकि हमारी भौगोलिक स्थिति उत्तर प्रदेश से बिलकुल भिन्न है। उन्होंने यह भी बताया कि गंगा कोई नदी नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति और सभ्यता की प्रतीक है। उसके संरक्षण को कठोर निर्णय और कठोर कदम अपनाने ही होंगें। उन्होंने कहा कि गंगा से छेड़छाड़ को अपराध की श्रेणी लाया जाना चाहिए, जिसकी किसी को भी अनुमति न हो। लेकिन हैरानी की बात यह है कि जहाँ पर्यावरणविद और समाजसेवी गंगा के संरक्षण को लगातार प्रयासरत हैं, वहीं राज्य सरकार एनजीटी के आदेशों का पालन कराने में भी असफल रही है। रायवाला से लेकर चन्द्रभागा नदियों का आरबीएम स्तर इतना ऊपर उठ चुका है कि कभी भी बाढ़ से भयानक स्थिति उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने कहा कि राज्य की सरकार को हरिद्वार में गंगा के खनन पर रोक के एन जी टी के आदेशों का शीघ्र पालन किया जाना चाहिए।