ऋषिकेश। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा को निर्मल व अविरल बनाने के लिए प्रयासरत हैं। ऋषिकेश में गंगा में प्रतिदिन डाले जाने वाले अपशिष्ट पदार्थों के कारण गंगा का जल आचमन योग्य भी नहीं रह गया है। इसके बावजूद भी विदेशी पर्यटकों के मन में गंगा को लेकर आस्था बनी है, जबकि स्थानीय नागरिक प्रतिदिन हजारों क्विंटल पूजा सामग्री से लेकर गंदगी को सीधे गंगा में प्रवाहित कर रहे हैं। जिसे लेकर गंगा के नाम पर बनी गंगा सेवा समितियां कतई गम्भीर नहीं हैं।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जो गंगा के ठेकेदार बने हैं वह मात्र देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों की जेब खाली कर रहे हैं। उन्हें गंगा से कोई सरोकार नहीं है। कोई गंगा के बीचोंबीच मूर्ति लगाकर कब्जा कर रहा है तो कोई आरती के नाम पर आडंबर रच रहा है।
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने पिछले माह इस संबंध में अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में गंगा प्रदूषण विभाग के अधिकारियों के जवाब से अग्रवाल संतुष्ट नहीं नजर आए। अधिकारियों का कहना था की चंद्रभागा में एक करोड़ से अधिक की लागत से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जा रहा है। इसके बाद गंगा में पड़ रहे नालों को रोका जा सकता है तो वहीं गंगा सेवा समिति द्वारा इस संबंध में कोई भी जनजागरण अभियान नहीं चलाया जा रहा है। हालांकि गंगा तटों को साफ करने के लिए नमामि गंगे व अन्य संस्थाओं द्वारा हर रविवार को सरोज डिमरी के नेतृत्व में गंंगा स्वच्छता अभियान चलाया जाता है, लेकिन उसके बावजूद प्रतिदिन हजारों क्विंटल कूड़ा गंगा में डालने से गंगा का जल आचमन योग्य नहीं रह गया है। यह रिपोर्ट जल प्रदूषण बोर्ड द्वारा भी जनहित में जारी की जा चुकी है। इसे लेकर स्थानीय नागरिकों में काफी रोष व्याप्त है।