वनाग्नि से बचने को ली जाएगी नासा की मदद

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    71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में पिछले साल जंगलों में भड़की भीषण आग से वन महकमे ने इस बार खासा सबक लिया है। इसके लिए उसने सूचना एवं तकनीकी का भरपूर उपयोग करने की ठानी है। विभाग अब जंगलों की आग बुझाने में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की मदद लेने का फैसला किया है।
    नासा के उपग्रह से मिलने वाले चित्रों के जरिए वह स्थल चिह्नित किए जाएंगे, जहां आग लगी है। फिर तत्काल ही इस सिलसिले में संबंधित वन प्रभागों के डीएफओ से लेकर बीट स्तर तक वन रक्षकों को एसएमएस से जानकारी दी जाएगी। ताकि, आग पर नियंत्रण को जुट सकें।
    दरअसल, पिछले साल जंगलों को आग से सर्वाधिक नुकसान हुआ था। जंगल की आग खेत-खलिहानों से लेकर गांव-घरों की देहरी तक पहुंच गई और वन विभाग इस पर काबू पाने में बेबस नजर आया। हालात बिगड़े तो आग बुझाने में सेना की मदद लेनी पड़ी थी।
    सरकारी आंकड़े ही देखें तो आग बुझाते वक्त छह लोगों को जान गंवानी पड़ी, जबकि 31 लोग झुलस गए थे। स्थिति ये रही कि मानसून के आगमन के बाद ही जंगलों की आग बुझ पाई थी।
    आग से पर्यावरण के साथ ही वन एवं वन संपदा को पहुंचे नुकसान से सबक लेते हुए उत्तराखंड वन महकमे ने आग पर काबू पाने के लिए जमीनी कदम उठाने के साथ ही इसमें सूचना-तकनीकी का भी समावेश किया है। राज्य के प्रमुख वन संरक्षक आरके महाजन ने बताया कि अब तक विभाग की ओर से भारतीय वन सर्वेक्षण से मिलने वाली सूचना के आधार पर कार्मिकों को अलर्ट भेजा जाता था।
    इस बार इसके लिए नासा की मदद भी ली जाएगी। महाजन ने बताया कि नासा के उपग्रह से मिलने वाले चित्र वैसे तो नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर, हैदराबाद के भुवन पोर्टल के जरिये मिलते हैं। लेकिन, इस मर्तबा विभाग सीधे भी नासा के उपग्रह से मिलने वाले चित्रों के जरिये उन स्थलों को चिह्नित करेगा, जहां आग लगी है। फिर तुरंत ही इसकी जानकारी संबंधित डीएफओ के साथ ही बीट स्तर पर वन रक्षकों को भी दी जाएगी। इससे आग बुझाने के उपाय तुरंत हो सकेंगे। इस क्रम में कसरत शुरू कर दी गई है।