जैविक खेती से बदलेगी किसानों की तकदीर: चिदानन्द

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ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन द्वारा संचालित वल्र्ड टॉयलेट कॉलेज में ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस एवं गंगा एक्शन परिवार के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय जैविक कृषि विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। जैविक कृषि की उन्नत तकनीकी को इस्तेमाल करने व कृषि उत्पादकों की बिक्री करने का 25 महिलाओं के प्रशिक्षण दिया गया।
ऑर्गेनिक इंडिया संस्था लखनऊ के प्रशिक्षकों द्वारा प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया गया।इस कार्यक्रम में उन महिला प्रतिभागियों को शामिल किया गया, जो अशिक्षित है। इन महिलाओं को जैविक कृषि के लाभ आज के समय में उसकी महत्ता एवं पर्यावरण संरक्षण आदि के बारे में विस्तार से बताया गया। इस प्रशिक्षण में उनको फसल के लिए भूमि को तैयार करना, जैविक बीजों से पौधों को बोना पौधों में कीटों की रोकथाम के लिये जैविक कीटनाशकों को तैयार करना व उचित जैविक मंडियों का चयन कैसे करना आदि विषयों को समझाया गया।
स्वामी चिदानन्द ने कहा कि जैसा खाय अन्न, वैसा बने मन..। शुद्ध जैविक उत्पाद खाने से जहां विभिन्न प्रकार के रोगों से रक्षा होती है, वहीं वैचारिक शुद्धि भी आती है। खेती भी एक पूजा ही है, क्योंकि इससे तैयार होने वाले उत्पाद से लोगों को जीवनशक्ति मिलती है। अन्नदाता सबसे बड़ा साधक है। हमारी वेद वर्णित ऋषि-कृषि परंपरा यही तो बताती है।
इस प्रशिक्षण के़ दौरान कंपोस्ट बनाने की विधि, वर्मी कंपोस्ट, वर्मी वाॅश, इस्तेमाल करने के तरीके एवं रासायनिक उर्वरक के नुकसान एवं जैविक खेती के लाभ व जैविक उत्पादकोें को बढ़ावा देने के विषय में विस्तार से समझाया गया ।
इस प्रशिक्षण दौरान महिलायों को प्रयोगात्मक तरीकों से कीटनाशक बनाने की विधि जैसे मट्ठा से, नीम के पत्ते से, लहसुन से, गाय का मूत्र से जैविक कीटनाशक तैयार करना बताया गया। महिलायों को स्वयं सहायता समूह द्वारा जैविक खेती आरम्भ करने तथा उत्पादों की बिक्री पर चर्चा हुई।
महिला प्रतिभागियों ने मिलकर विश्व में सभी को स्वच्छ जल एवं सैनिटेशन की सुविधा उपलब्ध हो इस भावना से ’वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी’ सम्पन्न की। सभी प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली प्रतिभागी महिलाओं को स्वामी ने जैविक कृषि का जन-जन तक प्रचार प्रसार करने तथा जैविक उत्पादों को अपनाने का संकल्प कराया।