ऋषिकेश। अक्षय तृतीया के अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान ऋषिकेश नारायण मंदिर की 108 परिक्रमा की और पुण्य के भागी बने। उल्लेखनीय है कि ऋषिकेश भरत भगवान के मंदिर की जो 108 परिक्रमा करता है उसे भू धाम के नाम से प्रसिद्ध भगवान बद्रीनाथ की यात्रा का प्रतिफल मिलता है।
स्कंद पुराण केदारखंड, वामन पुराण, नरसिंह पुराण, श्रीमद् भागवत गीता कथा, महाभारत आदि ग्रंथों में इसका स्पष्ट उल्लेख है कि भगवान विष्णु के सहस्त्र नाम स्त्रोत में कहा गया है कि ऋषिकेश नारायण श्रीभगवान के मंदिर की परिक्रमा के दौरान यदि मनुष्य विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें तो उसे भगवान बद्रीनाथ के मंदिर के दर्शन करने का लाभ भी यही पर मिलता है शास्त्रों में यह भी कहा गया कि आदि गुरु शंकराचार्य जी अपनी हिमालय यात्रा के दौरान बद्री का आश्रम जाते समय यही पर रुके और उन्होने मंदिर में भगवान नारायण की मूर्ति को पुनर्स्थापित किया था जिसे मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा जब भारत के तमाम मंदिरो पर हमला कर मंदिर की मूर्ति यो को ध्वस्त किया गया था जिसे शंकराचार्य ने मायाकुंड क्षेत्र मे गंगा किनारे छिपा कर रखी गई मूर्ति को निकालकर यहां पुनर्स्थापित किया था ।जिसके बाद से मान्यता है कि अक्षय तृतीया को भगवान श्री हृषिकेश नारायण के अपनी सामर्थ्य अनुसार 108 अथवा 1008 परिक्रमा यदि कोई मनुष्य करता है तो उसे श्री बद्रीनाथजी के दर्शन का फल प्राप्त होता है इसी के चलते मंदिर के 108 चक्कर लगा कर पूण्य का लाभ कमाया। जिन्हें लगाने के लिए प्रातः चार बजे से ही लोगों का मंदिर में तांता लगा था, इस दौरान भारी गर्मी को देखते हुए मंदिर परिसर मे ही मीठे शरबत की छबीलियां भी लगाई गई थी।