रक्षा मंत्री ने देखा वायु सेना का युद्धाभ्यास “गगन शक्ति”

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डिब्रूगढ़, भारतीय वायु सेना ने पहली बार सबसे बड़ा युद्धाभ्यास “गगन शक्ति” के नाम से कर रही है। इस युद्धाभ्यास के दौरान पाकिस्तान और चीन से लगने वाले सीमावर्ती इलाकों में वायु सेना की तैयारियों का युद्ध के दौरान अपनाई जाने वाली रणनीतियों को परखना है। इस कड़ी में ऊपरी असम के डिब्रूगढ़ जिले के चाबुआ स्थित वायु सेना हवाई अड्डे पर वायु सेना द्वारा “गगन शक्ति” के तहत किए जा रहे युद्धाभ्यास के दौरान गुरुवार को रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन भी मौजूद रहीं।

देश के उत्तर और पूर्व सीमावर्ती इलाकों को ध्यान में रखते हुए “गगन शक्ति” युद्धाभ्यास के दौरान वायु सेना के सभी आपरेशनल कमांडर हिस्सा ले रहे हैं।

वायु सेना के चाबुआ स्थित हवाई अड्डे पर “गगन शक्ति” युद्धाभ्यास को देखने के बाद रक्षा मंत्री सीतारमन ने कहा कि शत्रुओं की किसी भी मंशा को नाकाम करने में भारतीय वायु सेना पूरी तरह से सक्षम है। उन्होंने काह कि अब से पहले देश में वायु सेना द्वारा इतने बड़े पैमाने पर अभ्यास का कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि इसके जरिए वायु सेना की शक्ति का आंकलन किया जा रहा है। साथ ही युद्ध के दौरान आवश्यक सभी तरह की रणनीतियों की बारीकी से वायु सेना अभ्यास कर रही है। सीतारमन ने “गगन शक्ति” अभियान की प्रगति पर प्रसन्नता व्यक्कत की।

उल्लेखनीय है कि वायु सेना पाक व चीन की सीमा से लगने वाले सीमावर्ती इलाकों में वायु सेना की तैयारियों को परखने के लिए बीते 8 अप्रैल को राजस्थान से “गगन शक्ति” युद्धाभ्यास आरंभ किया जो 22 अप्रैल तक जारी रहेगा। कुल 15 दिनों तक यह युद्धाभ्यास चलेगा। इस दौरान वायु सेना के द्वारा समन्वय, कम्यूनिकेशन, आक्रमण, प्रत्याक्रमण, सामानों को पहुंचाना तथा थल और जल सेना के साथ समन्वय बनाना शामिल है। इस युद्धाभ्यास में वायु सेना के 1100 लड़ाकू जहाज, एयर क्राफ्ट, हेलीकाप्टर आदि हिस्सा ले रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि चाबुआ एयर फोर्स स्टेशन पर सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट्स तैनात है। इसकी तैनाती इसलिए भी अहम है, क्योंकि अरुणाचल प्रदेश से चीन की सीमा लगती है। जहां पर आए दिन चीन के द्वारा विवाद खड़ा करने की कोशिश की जा रही है। सरकारी सूत्रों ने बताया है कि इस युद्धाभ्यास में एलसीए तेजस भी हिस्सा ले रहा है। इसके अलावा सुखोई-30 एमकेआई जेट्स, मिग-29, मिराज-2000, जगुआर, मिग-21, ट्रांसपोर्ट प्लेन 3-130 जे, हेलीकाप्टर आदि हिस्सा ले रहे हैं। इस दौरान लड़ाकू जहाजों में हवा में तेल भरकर उनकी क्षमता को बढ़ाने का भी जायजा लिया गया।