ऋषिकेश, एम्स ऋषिकेश में ‘असंक्रामक रोग: इलाज एवं रोकथाम’ इस विषय पर चल रही दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का समापन हुआ। इस दो दिवसीय सम्मेलन में देश विदेश से आए प्रसिद्ध चिकित्सकों ने भाग लिया।
इस अवसर पर उत्तर भारत में पहली बार 60 नर्सों एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को डायबिटीज की काउंसलिंग और प्रशिक्षण विषय में पारंगत किया गया। दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन एम्स के निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में एम्स अपनी सुविधाओं को प्रदान करने हेतु तथा सुदूर क्षेत्रों में स्थापित मेडिकल
कॉलेजों एवं जिला स्तरीय चिकित्सालयों को न सिर्फ ट्रेनिग देगा बल्कि उनके भेजे मरीजों को स्पेशल क्लिनिक की सेवाएं भी दे रहा है। उत्तराखंड से आये चिकित्सकों ने असंक्रामक रोग जैसे डायबिटीज, लकवा या स्ट्रोक, हृदय रोग से बचने एवं उपचार के लिए उत्तराखंड चिकित्सा सेवा के अंतर्गत सामूहिक प्रयास करने की बात कही।
समारोह में उपस्थित एम्स दिल्ली से आई न्यूरोलॉजी की प्रोफेसर डॉ. पद्मा श्रीवास्तव ने कहा कि देश में स्ट्रोक या लकवा की बीमारी से होने वाली मृत्यु सबसे ज्यादा है। इस बीमारी की बढ़ती हुई घटनाओ को रोकने के लिए उन्होंने ठीक समय पर नई तकनीक और सही इलाज अपनाने की बात कही। उन्होंने कहा की मधुमेह एवं अनियंत्रित ब्लड प्रेशर इसका मुख्य कारण है।
मौके पर बोलते हुए डीन प्रोफेसर सुरेखा किशोर ने कहा की समय रहते बढ़ते हुए तनाव, नियमित खानपान एवं जीवन शैली में परिवर्तन करके कई गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है । सर्जरी विभाग की वरिष्ठ प्रोफेसर बीना रवि ने कैंसर की बीमारी के इलाज से संबंधित नवीनतम तकनीक और उपलब्धियों से डेलीगेट्स को अवगत कराया।
इस सम्मेलन के आयोजक एम्स ऋषिकेश की जनरल मेडिसिन विभाग के डॉक्टर रविकांत ने कहा की मौजूदा हालात को देख कर लगता है कि भारत विश्व का डायबिटीज केपिटल बन सकता है, लेकिन नियंत्रित खान-पान और व्यायाम से इस से बचाया जा सकता है।
दो दिवसीय सम्मेलन में असंक्रामक रोगों से बचाव एवं उनके इलाज की नवीनतम प्रगति एवं पद्धतियों के बारे में चर्चा की गई। जिसमें अमेरिका से आये एम आर आय एवं हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ आशीष अनेजा, श्रीलंका से आए डॉक्टर मनिलका सुमन्थिलक, ढाका बांग्लादेश से आए डॉक्टर इनायत हुसैन एवं शर्मिंन और एसजीपीजीआई लखनऊ के पूर्व निदेशक एवं प्रसिद्ध नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ आर के शर्मा शामिल थे।