देहरादून, उत्तराखंड में 2018 में होने जा रहे निकाय चुनावों को लेकर असमंजस बढ़ गया है। हाई कोर्ट से निकायों के परिसीमन मामले में सरकार को अब तक का सबसे बड़ा झटका देते हुए सीमा विस्तार से संबंधित सभी अधिसूचनाएं निरस्त कर दी हैं। कोर्ट ने अधिसूचना राज्यपाल की ओर से जारी नहीं होने को असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद निकायों के परिसीमन और आरक्षण को लेकर की गई सरकारी कवायद बेकार चली गई है। अब इस मामले में सरकार के रुख का भी इंतजार है।दरअसल हल्द्वानी, पिथौरागढ़, डोईवाला, भवाली, टनकपुर, कोटद्वार समेत दो दर्जन निकायों के सीमा विस्तार का अलग अलग याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी गई थी। याचिकाओं में कहा गया था कि अधिसूचना राज्यपाल से जारी की जानी चाहिए थी, मगर यह शहरी विकास निदेशालय से जारी की गई।
पिछले दिनों सरकार ने इस मामले में जवाब दाखिल किया था। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख दिया था। सोमवार को दोपहर दो बजे जस्टिस सुधांशु धूलिया की एकलपीठ ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने सीमा विस्तार को लेकर को गई प्रक्रिया को असंवैधानिक मानते हुए निरस्त कर दिया।
गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार ने नगर पंचायत नगरपालिकाओं का दायरा बढ़ा कर सीमा विस्तार किया था जिस पर कई जगह से आपत्तियां लगी थी और इस सीमा विस्तार को कई जगह से चुनौती मिली थी जिस पर हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए राज्य सरकार को बड़ा झटका दीया है, कोर्ट ने नगर-निकाय चुनावों का नोटिफिकेशन रद्द किया। सरकार की तरफ़ से शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने सफाई देते हुए कहा कि, “राज्यपाल के पास नोटिफ़िकेशन न भेजे जाने के कारण हुआ माननीय हाईकोर्ट ने ख़ारिज किया, उत्तराखंड सरकार अब इस मामले को हायर बेंच से सरकार करेगी अपील।”