(ऋषिकेश) गंगा के जन्मदिन यानी गंगा दशहरे के मौके पर आज तीर्थनगरी ऋषीकेश में भारी संख्या में श्रद्धलुओं की भीड़ जुटी। माना जाता है कि आज ही के दिन गंगा का धरती में अवतरण हुआ था। जिस मानव कल्याण के लिए गंगा ने पृथ्वी पर अवतरण लिया उसी मानव ने वर्तमान में गंगा को प्रदूषित कर उसके अस्तित्व पर ही संकट लगा दिया है। गंगा दशहरे पर ऋषिकेश से गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की आवाज़ उठी है, आज के दिन स्नान- दान का विशेष महत्त्व है। पर्व को देखते हुए ऋषीकेश के त्रिवेणी घाट में आज ब्रहम-मुहूर्त से ही स्नान-दान करने वालो की भीड़ जुटनी शुरू हो गयी थी जो अभी तक जारी है।
भारत देश पर्वो का देश है। जहां विभिन्न संस्कृतियों का संगम होता है जिनमे से एक है गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का दिन यानी गंगा दशहरा। माना जाता है की राजा भागीरथ ने अपने पुरखों की आत्मशांति के लिए ब्रह्मा की तपस्या कर गंगा को धरती पर लाने का वरदान माँगा था, तीर्थ पुरोहित पंडित वेद प्रकाश का कहना है कि आज के दिन माँ गंगा धरती पर आई थी तभी से लेकर आज तक गंगा के पृथ्वी पर अवतरण के दिन को गंगा दशहरा के रूप पवित्र त्यौहार मना कर गंगा में स्नान किया जाता है।
लाखों की संख्या में विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु ऋषिकेश पहुंच स्नान करके माँ गंगा से पूर्व जन्म और इस जन्मो के पापो से मुक्ति की प्राथना करते हैं। आज के स्नान का फल जीवन पर्यंत मिलता है दूर दूर से आये श्रद्धलु गंगा में डुबकी लगा कर अपने को धन्य मान रहे है। लेकिन साथ साथ ही गंगा के अस्तित्व पर संकट से सभी चिंतित हैं। लोगो ने गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार से अपील की है जल्द ही गंदे नालों और सीवर के जल को गंगा से दूर किया जाए जिस से आस्था के पर्व पर गंगा निर्मल और साफ़ और मोक्षदायनी बनी रहे।
राजा सगर के पुत्रो को मुक्ति दिलाने के लिए आज ही के दिन गंगा को पृथ्वी पर लाया गया था। आज का दिन गंगा अवतरण के दिन के रूप में मनाया जाता है। स्वर्ग से धरती पर आई माँ गंगा आज भी करोंड़ों भारतीयों की जीवन दायिनी बनी हुई है, लेकिन वक्त रहते अगर जल्द ही इस में गिर रहे प्रदूषित नाले और अवयवो पर रोक नहीं लगी तो गंगा के अस्तित्व सिर्फ प्रतीक में रह जायेगा।