बरसात के तीन माह वन गुर्जरों पर गुजरते हैं भारी

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विकासनगर। सूबे ही राजधानी से 35 किमी की दूरी पर बसी वन गुर्जरों की धौला तप्पड़ बस्ती के बाशिंदे बरसात के तीन माह में आदिमकालीन जीवन जीने को मजबूर हो जाते हैं। कारण इस बस्ती तक जाने वाले उबड़ खाबड़ मार्ग पर आधा दर्जन से अधिक बरसाती नालों का उफान पर आना है। संपर्क कट जाने के चलते वन गुर्जर अपने दुग्ध उत्पाद को बाजार तक नहीं पहुंचा पाते हैं, जिससे उनके सामने आर्थिक संकट गहरा जाता है।
विकासनगर तहसील क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे जंगल के बीच में वन गुर्जरों की धौला तप्पड़ बस्ती है। इस बस्ती में गुर्जरो के करीब अस्सी परिवार पिछले पचास वर्षों से स्थाई रूप से निवास कर रहे हैं। तहसील क्षेत्र की कुल्हाल पंचायत के अंतर्गत आने वाली इस बस्ती तक पहुंचने के लिए सुगम संपर्क मार्ग नहीं है। बस्ती के बाशिंदों ने जंगल के बीच ही पगडंडी का निर्माण किया है लेकिन बस्ती तक पहुंचने वाली इस पगडंडी पर आधा दर्जन से अधिक बरसाती खाले हैं जो बरसात में उफान पर आने के साथ ही पगडंडी को भी बहा ले जाते हैं। दुग्ध उत्पादों को बेच कर परिवार का भरण पोषण करने वाले वन गुर्जरों के परिवारों को बरसात के तीन माह कंदमूल फलों से ही जीवन यापन करना पड़ता है। कारण तहसील मुख्यालय सहित बाजार से संपर्क कट जाने के चलते गुर्जर अपने दुग्ध उत्पादों को बाजार तक नहीं पहुंचा पाते हैं। पंचायत चुनावों से लेकर विधान सभा व लोक सभा चुनावों के दौरान हर बार बस्ती के बाशिंदों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने का आश्वासन दिया जाता है लेकिन आज तक इस बस्ती को जाने वाले संपर्क मार्ग तक निर्माण कराने की जहमत कोई भी जिम्मेदार नहीं उठा रहा है। जिम्मेदारों की लापरवाही का खामियाजा का इस बस्ती के सौ से अधिक नौनिहालों के साथ ही चार सौ की आबादी को भुगतना पड़ रहा है, जो बरसात के तीन माह जंगली फलों को खाकर गुजारा करने को मजबूर हैं। स्थानीय बाशिंदे जमाल हसन, नूर मौहम्मद, फरदीना खातून, लियाकत ने बताया कि तहसील प्रशासन से लेकर विधायक से बस्ती तक संपर्क मार्ग बनाने की गुहार लगाई जा चुकी है लेकिन आज तक किसी भी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
मूलभूत सुविधाओं का है अभाव
बस्ती में जूनियर स्तर की शिक्षा, बिजली, पानी की सुविधा मौजूद नहीं है। इसके साथ ही बस्ती के बीच से कुल्हाल व खारा पावर हाउस की हाई टेंशन लाइन गुजरती है लेकिन इस बस्ती में बिजली की सुविधा मुहैया नहीं कराई गई। जबकि पीने के पानी के लिए यहां के बाशिंदे जंगल के बीच बने तालाबों पर निर्भर हैं।
एसडीएम जितेंद्र कुमार का कहना है कि धौला तप्पड़ बस्ती में मूलभूत सुविधाएं विकसित करने के लिए वन कानून आड़े आ रहे हैं। संपर्क सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए उचित माध्यम से वन विभाग अधिकारियों को प्रस्ताव भेजा जाएगा।